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ITR रिफंड का मैसेज और लिंक अपडेट की बात... नए पैंतरे से लोगों को चूना लगा रहे हैं साइबर ठग

31 जुलाई को ITR फाइलिंग की आखिरी तारीख बीतने के साथ ही अब साइबर ठगों ने रिफंड के फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को लूटने की तिकड़म लगानी शुरु कर दी है. ऐसे में अब आयकरदाताओं को इस तरह के फर्जी संदेशों से सावधान रहने की हिदायत दी जा रही है.

ठगों ने रिफंड के फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को लूटने की तिकड़म लगानी शुरु कर दी है. ठगों ने रिफंड के फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को लूटने की तिकड़म लगानी शुरु कर दी है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

31 जुलाई को ITR फाइलिंग की आखिरी तारीख बीतने के साथ ही अब साइबर ठगों ने रिफंड के फर्जी मैसेज भेजकर लोगों को लूटने की तिकड़म लगानी शुरु कर दी है. ऐसे में अब आयकरदाताओं को इस तरह के फर्जी संदेशों से सावधान रहने की हिदायत दी जा रही है. आयकर विभाग ने करदाताओं को नकली पॉप-अप संदेशों के झांसे में नहीं आने की सलाह दी है. आईटीआर दाखिल रिफंड का इंतजार करने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.

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दरअसल, साइबर ठग लोगों को मैसेज भेज रहे हैं. इसमें लिखा जा रहा है कि आपके नाम पर 15 हजार रुपए का आयकर रिफंड मंजूर हुआ है. ये रकम जल्द ही टैक्सपेयर के खाते में क्रेडिट होने की बात मैसेज में लिखी होती है. इसके बाद खाता नंबर वेरिफाई करके एक लिंक पर बैंक अकाउंट की डिटेल अपडेट करने की बात कही जाती है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस तरह के मैसेज पर आयकरदाताओं से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देने की बात कही है.

आयकर विभाग के मुताबिक ये लिंक आयकरदाताओं को एक फर्जी वेबसाइट पर ले जाता है. जब वो वहां अकाउंट अपडेट करता है तो उसके पास एक ओटीपी भेजा जाता है. उस ओटीपी को डालते ही स्कैमर्स बैंक खाते में सेंध लगा देते हैं. इसलिए यदि किसी के मोबाइल पर आयकर रिफंड से जुड़ा कोई मैसेज आ रहा है, जिसमें बैंक अकाउंट नंबर या किसी और जानकारी को वेरीफाई करने की बात की जा रही है तो ऐसे मैसेज से सावधान होना जरूरी है.

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ऐसे मैसेज के रिप्लाई करने पर बैंक अकाउंट खाली होने का खतरा है. आयकर विभाग आयकरदाताओं को कोई ऐसा एसएमएस या ई-मेल नहीं भेजता है, जिसमें लिंक दिया गया हो. आईटीआर प्रोसेस करने के बाद विभाग टैक्स रिफंड सीधे टैक्यपेयर के उसी बैंक अकाउंट में भेजता है, जिसे उसने आईटीआर भरते समय दिया होता है. इसके साथ ही इसकी सूचना रजिस्टर्ड ई-मेल या मोबाइल नंबर पर मैसेज के जरिए दे दी जाती है.

यदि विभाग को बैंक अकाउंट से जुड़ी कोई सूचना चाहिए तो वो टैक्सपेयर के रजिस्टर्ड ई-मेल पर मैसेज करता है. इसके बावजूद यदि कोई इन ठगों के झांसे में आ जाता है तो उसे 'सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम' का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके जरिए 7.6 लाख से ज्यादा शिकायतों में 2,400 करोड़ की रकम बचाई गई है. ऑनलाइन धोखाधड़ी की तुरंत रिपोर्टिंग करने और लूटी गई रकम बचाने में ये सिस्टम कारगर साबित हो रहा है.

ऑनलाइन साइबर शिकायतें दर्ज करने में मदद के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर '1930' का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें की गईं शिकायतों के बाद 5.8 लाख से ज्यादा सिम कार्ड और 1 लाख 8 हजार IMEI को ब्लॉक किया गया है. इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं को एफआईआर में बदलने और उसके बाद की गई कार्रवाई को कानून के प्रावधानों के मुताबिक संबंधित राज्य नियंत्रित करते हैं. 

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