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पीएम लोन स्कीम के नाम पर 4 हजार लोगों से ठगी, मुंबई पुलिस ने ऐसे पकड़ा

मुंबई पुलिस ने लोन ऐप्स को लेकर साइबर क्राइम से जुड़े एक दूसरे मामले का पर्दाफाश किया है. आरोपी प्रधानमंत्री ऋण योजना के नाम पर ऐप्स और वेबसाइट चला रहा था.

साइबर क्राइम का मुंबई पुलिस ने किया भंडाफोड़ (सांकेतिक फोटो) साइबर क्राइम का मुंबई पुलिस ने किया भंडाफोड़ (सांकेतिक फोटो)
दिव्येश सिंह
  • मुंबई,
  • 22 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST
  • करीब 4 हजार लोग धोखाधड़ी का शिकार
  • ऐप्स, वेबसाइट के जरिये लोन देने का दावा
  • रजिस्ट्रेशन फीस के जरिये 4 करोड़ की ठगी

मुंबई पुलिस ने लोन ऐप्स को लेकर साइबर क्राइम से जुड़े एक दूसरे मामले का पर्दाफाश किया है. आरोपी प्रधानमंत्री ऋण योजना के नाम पर ऐप्स और वेबसाइट चला रहा था.

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले आरोपी संजीव कुमार ने पीएम लोन स्कीम के नाम पर 9 ऐप्स और वेबसाइट बना रखी थीं. आरोपी ने अपने ऐप्स और वेबसाइट के जरिये ऋण मुहैया कराने के लिए विज्ञापन भी दिए थे.

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दिलचस्प बात ये है कि करीब 2800 लाख लोगों ने इन ऐप्स को डाउनलोड भी किया था. ऐप्स डाउनलोड करते समय लोगों ने अपने पर्सनल डिटेल्स दिए थे और साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस भी दी थी. रजिस्ट्रेशन के तौर पर करीब आठ से दस हजार रुपये दिए थे. 

आरोपी ने अलीगढ़ और यूपी में दो कॉल सेंटर बना रखे थे और छात्रों को उन लोगों से बात करने के लिए काम पर रखा था जिन्होंने ऐप और वेबसाइटों पर रजिस्ट्रेशन कराया था.

साइबर क्राइम पुलिस को ऑनलाइन जांच-पड़ताल के दौरान इन ऐप्स और वेबसाइटों के बारे में पता चला. बाद में पाया गया कि ऐसी कोई योजना ही नहीं है जिसका दावा इन ऐप्स और वेबसाइटों के जरिये किया जा रहा था. 

कैसे शिकार बने लोग

पुलिस के मुताबिक शुरुआत में करीब चार हजार लोग इस धोखाधड़ी के शिकार बने जिनसे फर्जीवाड़ा के जरिये चार करोड़ रुपये वसूल लिए गए. ये लोग सिर्फ धोखाधड़ी के ही शिकार नहीं बने बल्कि इन्होंने अपने पर्सनल गोपनीय डिटेल्स मसलन आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर, वोटर आईडी कार्ड, आवासीय पता और आय संबंधी विवरण भी इन ऐप्स और वेबसाइटों को दे दिए.       

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आरोपी ऐप्स और वेबसाइट के जरिये इस बिना किसी सिक्योरिटी के 1 से 2 लाख रुपये का ऋण मुहैया कराने का दावा किया करता था.
 
बहरहाल, मुंबई पुलिस ने लोगों से अपील किया है कि अगर उन्हें इस तरह की ऋण योजनाओं का लालच दिया जाता है तो उन्हें केंद्रीय सरकार की वेबसाइटों पर इसे सत्यापित करना चाहिए.


 

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