
देश में साइबर ठगी के नए मामले हर दिन सामने आ रहे हैं. ताजा मामला मध्य मुंबई के भायखला से आया है, जहां एक आईटी पेशेवर महिला से साइबर जालसाजों ने कथित तौर पर 1.97 लाख रुपये ठग लिए. जालसाझों ने खुद को नारकोटिक्स विभाग का अधिकारी बताया और दावा किया कि महिला का आधार नंबर अपराधियों के बैंक खातों से जुड़ा हुआ है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना का खुलासा मंगलवार को उस समय हुआ जब महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.
महिला की शिकायत के अनुसार, उन्हें मंगलवार को एक अज्ञात शख्स ने कॉल किया और खुद को एक कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया. उन्होंने महिला को बताया कि ताइवान के लिए उसका पार्सल कुछ कठिनाइयों के कारण नहीं भेजा जा सका है. अधिकारी ने बताया, 'पीड़िता ने कॉल करने वाले को बताया कि उसने ताइवान को कोई पार्सल नहीं भेजा है. फोन करने वाले ने उससे कहा कि अगर पार्सल उसका नहीं है तो उसे ऑनलाइन पुलिस से संपर्क करना चाहिए क्योंकि इसमें पांच पासपोर्ट, दो क्रेडिट कार्ड और कुछ नशीला पदार्थ है.'
इसके बाद कॉल करने वाले शख्स ने कॉल को दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया. जिस दूसरे शख्स को कॉल ट्रांसफर की उसने दावा किया कि वह पुलिस विभाग से है और मामला नशीले पदार्थों से संबंधित होने के कारण वह कॉल को 'नारकोटिक्स विभाग' के अधिकारी को ट्रांसफर कर रहा है. इसके बाद खुद को नारकोटिक्स अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने उसका आधार नंबर पूछा और उसे बताया कि यह अपराधियों के तीन बैंक खातों से जुड़ा हुआ है और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उसे (पीड़िता को) एक इंस्टेंट मैसेंजर ऐप स्काइप डाउनलोड करना होगा.
इसके बाद पीड़िता ने अपने फोन में स्काइप डाउनलोड किया, जिसके बाद कॉल करने वाले ने उसे अपनी ऐप आईडी दी, जिसमें जालसाज का नाम 'नारकोटिक्स विभाग' लिखा हुआ था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि पीड़िता और आरोपी दोनों स्काइप के जरिए एक-दूसरे से जुड़े और आरोपी ने उन कथित अपराधियों की कुछ तस्वीरें भेजीं, जिन्हें कथित पुलिस ने पकड़ा था और पीड़िता को बताया कि ये वही अपराधी थे, जिनके बैंक खाते उसके आधार नंबर से जुड़े थे.
फिर आरोपी ने पीड़िता कोसे एक पत्र भेजा, जिसमें 'नारकोटिक्स विभाग' का जिक्र था. उसने पीड़िता से उसके बैंक खातों के बारे में पूछा और सत्यापन के लिए दो खातों से 98,888 रुपये जमा करने को कहा. उसने उससे यह भी कहा कि सत्यापन के बाद राशि उसके खाते में वापस कर दी जाएगी.
कुछ समय इंतजार करने के बाद, पीड़िता को एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है क्योंकि पैसे उसके खाते में वापस जमा नहीं किए गए, जिसके बाद वह पुलिस स्टेशन गई और अज्ञात धोखेबाजों के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराई. शिकायत के आधार पर, जालसाजों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 और धारा 66 (सी), 66 (डी) के तहत पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई. मामले की जांच जारी है.