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शेयर बाजार में निवेश का झांसा, मोटी कमाई का लालच... WhatsApp के जरिए ऐसे लगाया 9 करोड़ का चूना

शेयर बाजार में निवेश करने और मोटी कमाई का लालच देकर साइबर ठगों ने नोएडा के एक व्यक्ति से 9 करोड़ 9 लाख रुपए की ठग लिए. एक ऐप डाउनलोड कराकर ठगी की इस वारदात को अंजाम दिया गया है. पीड़ित ने इस मामले की शिकायत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में की है.

नोएडा में साइबर ठगी की एक सबसे बड़ी वारदात सामने आई है. नोएडा में साइबर ठगी की एक सबसे बड़ी वारदात सामने आई है.
aajtak.in
  • नोएडा,
  • 01 जून 2024,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

दिल्ली से सटे नोएडा में साइबर ठगी की एक सबसे बड़ी वारदात सामने आई है. यहां शेयर बाजार में निवेश और मोटी का लालच देकर साइबर ठगों ने एक कारोबारी से 9 करोड़ रुपए लूट लिए. ठगी की इस सनसनीखेज वारदात के बाद पीड़ित ने साइबर सेल में अपनी शिकायत दर्ज कराई है. साइबर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कारोबारी के बैंक अकाउंट में 1.62 करोड़ रुपए फ्रीज करा दिए. पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है.

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पुलिस के अनुसार, नोएडा सेक्टर 40 के रहने वाले रजत बोथरा के साथ 1 मई को शेयर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देने के बहाने एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़े जाने के एक महीने बाद यह धोखाधड़ी हुई है. पीड़ित ने नोएडा सेक्टर 36 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार को एक प्राथमिकी दर्ज कराई है. इस मामले की जांच करने के लिए एक स्पेशल सेल का गठन किया गया है. शुरूआती जांच में कई अहम सुराग मिले हैं.

पुलिस ने अकाउंट में फ्रीज कराए 1.62 करोड़  

सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) विवेक रंजन राय ने बताया, "1 मई को पीड़ित राजेश बोथरा को एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था. वहां उनको शेयर ट्रेडिंग से लाभ के बारे में जानकारी दी गई थी. इसके बाद उन्होंने छोटी मात्रा में निवेश करना शुरू कर दिया था. 27 मई तक, उन्होंने शेयर ट्रेडिंग में 9.09 करोड़ रुपए का निवेश कर दिया था. इसके बाद एक दिन अचानक उनका अकाउंट बंद कर दिया गया. तब जाकर उन्हें ठगी का एहसास हुआ." 

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एसीपी ने आगे बताया, "पीड़ित ने इस संबंध में शिकायत दी, तो हमने तुरंत जांच शुरू कर दी. अब तक हम उसके बैंक खाते में जमा 1.62 करोड़ रुपए जब्त करवाने में सफल रहे हैं. इस मामले की जांच के दौरान पता चला कि जिन बैंक खातों में ठगी की गई रकम ट्रांसफर की गई है, वे चेन्नई, असम, भुवनेश्वर, हरियाणा और राजस्थान समेत कई जगहों पर हैं. इसमें शामिल साइबर ठगों को गिरफ्तार करने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है.'' 

साइबर क्राइम से जुड़ी चौंकाने वाली रिपोर्ट 

बताते चलें कि पिछले साल लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने साइबर क्राइम से जुड़ी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की थी. उसके मुताबिक 2022-23 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम हुए. इस दौरान यूपी में 2 लाख लोगों के साथ साइबर फ्रॉड हुआ. साइबर ठगों ने इस दौरान यूपी में 721.1 करोड़ रुपयों की ठगी की थी. इसके बाद महाराष्ट्र और फिर गुजरात में साइबर क्राइम के सबसे ज्यादा केस हुए.

यदि कारोबारी साल 2022-23 में साइबर ठगी से जुड़े आंकड़ों की बात करें तो 11.28 लाख मामले देशभर में सामने आए थे. इसमें आधे मामले तो केवल पांच राज्यों में ही दर्ज किए गए. इनमें उत्तर प्रदेश में लगभग 2 लाख केस दर्ज हुए है. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 1 लाख 30 हजार केस, तीसरे नंबर पर गुजरात में 1 लाख 20 हजार केस, चौथे और पांचवे नंबर पर राजस्थान और हरियाणा में करीब 80-80 हजार मामले दर्ज किए गए थे.

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साइबर ठगी बढ़ने की असली वजह क्या है? 

साइबर ठगी बढ़ने की वजह लोगों का जागरुक ना होना है. तमाम अभियानों और ठगी के मामलों के बावजूद लोग अनजान लोगों से ओटीपी शेयर करके नुकसान उठा लेते हैं. वहीं अनजान नंबर से भेजे एसएमएस, व्हाट्सएप या मेल के जरिए मिले लिंक पर क्लिक करके वो इन शातिरों का शिकार बन रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक यूपी में सबसे ज्यादा सेक्सटॉर्शन और फ्रेंडशिप के नाम पर ठगी हुई है. इसके अलावा सोशल मीडिया में फेक प्रोफाइल बनाकर ठगी की जा रही है. 

ऑनलाइन फ्रॉड और एटीएम क्लोनिंग के साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज हो रहे हैं. इसके अलावा मेट्रीमोनियल साइट के जरिए नाइजीरियन गैंग ठगी करते हैं. बीते दिनों ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. किसी नई सरकारी योजना का फायदा देने के नाम पर भी कई मामले दर्ज हुए हैं. नौकरी और पार्ट टाइम जॉब के नाम पर रोजाना लाखों की ठगी की जाती है. एआई के दौर में तो पुलिस के उच्चाधिकारियों के फेक वीडियो से धमकी देकर वसूली की जा रही है.

फ्रॉड रोकने में कारगर साबित हुआ ये सिस्टम 

साइबर फ्रॉड में एक नया सिस्टम कारगर साबित हो रहा है. इसका नाम CFCFRMS है. इसे साल 2021 में तैयार किया था, जो ऑनलाइन ठगी रोकने में बेहद कारगर साबित हुआ है. इसे गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने बनाया है. इस सिस्टम में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ 243 वित्तीय संस्थाओं को जोड़ा गया है. इन वित्तीय संस्थाओं में बैंक, वर्चुअल वॉलेट, पेमेंट एग्रीगेटर, गेटवे और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं. 

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ये सिस्टम पीड़ित के एनफोर्समेंट एजेंसी को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के साथ काम करना शुरू कर देता है. इसके बाद सारी जानकारी CFCFRMS के जरिए एक टिकट के तौर पर जेनरेट होती है. ये टिकट संबंधित फाइनेंशियल यूनिट यानी बैंक, भुगतान वॉलेट वगैरह को भेज दिया जाता है. इसके बाद फ्रॉड की रकम की जांच की जाती है. उसे खाते में तुरंत फ्रीज कर दिया जाता है. ठगी के बाद तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहिए.

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