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मनी लॉन्ड्रिंग: जामताड़ा के पांच साइबर क्रिमिनल दोषी, 23 जुलाई को सजा का ऐलान

झारखंड के रांची में एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने शनिवार को जामताड़ा के पांच साइबर अपराधियों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराया है. इन आरोपियों पर साइबर क्राइम सिंडिकेट चलाने का भी आरोप था, जो कि साबित हो गया है. इनको 23 जुलाई को सजा सुनाई जा सकती है.

जामताड़ा के पांच साइबर अपराधियों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराया है. जामताड़ा के पांच साइबर अपराधियों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराया है.
aajtak.in
  • रांची ,
  • 20 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 9:15 PM IST

झारखंड के रांची में एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने शनिवार को जामताड़ा के पांच साइबर अपराधियों को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी ठहराया है. इन आरोपियों पर साइबर क्राइम सिंडिकेट चलाने का भी आरोप था, जो कि साबित हो गया है. इनको 23 जुलाई को सजा सुनाई जा सकती है.

सूत्रों के मुताबिक, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दोषी ठहराए गए लोगों में गणेश मंडल (51), उसके बेटे प्रदीप कुमार मंडल (30), संतोष मंडल (51), पिंटू मंडल (33) और अंकुश कुमार मंडल (27) शामिल हैं. इनके खिलाफ साल 2019 में आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

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ईडी ने झारखंड पुलिस की एफआईआर और आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद इन साइबर अपराधियों के खिलाफ पीएमएलए के तहत आपराधिक आरोप लगाए, जिसमें उन पर बैंक अधिकारी होने की आड़ में भोले-भाले लोगों के खातों से पैसों की अवैध निकासी का आरोप लगाया गया था. 

ईडी ने कहा था कि उसकी जांच में पाया गया कि आरोपियों ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर बैंक ग्राहकों, कुछ अन्य व्यक्तियों को धोखा देकर अपने बैंक खातों और परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर किया था. इन पैसों को घरों के निर्माण और वाहनों की खरीद में निवेश किया था.

बताते चलें कि साल 2020 में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम की गई वेब सीरीज 'जामताड़ा' में इस जिले के साइबर अपराध को विस्तार से दिखाया गया था. इसके बाद जामताड़ा पूरे देश में साइबर अपराध के मामलों के लिए चर्चित हो गया था. तबसे पुलिस इस इलाके में सक्रिय है. 

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बताते चलें कि देश में बीते कुछ वर्षों के दौरान फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों में तेजी आई है. लोकलसर्किल्स के एक ताजा सर्वे में दावा किया कि बीते 3 साल में 47 फीसदी भारतीयों ने एक या ज्यादा फाइनेंशियल फ्रॉड का अनुभव किया है. यानी कि देश की आधी आबादी इस वक्त साइबर ठगों की पहुंच में हैं. 

किसी न किसी तरह से ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं. इस सर्वे में ये भी कहा गया कि इनमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी फाइनेंशियल फ्रॉड सबसे आम हैं. आधे से ज्यादा लोगों को क्रेडिट कार्ड पर अनऑथराइज्ड चार्ज लगाए जाने का सामना करना पड़ा है. सर्वे में पिछले 3 साल का डेटा शामिल है. 

इस आधार पर लोकलसर्किल्स ने कहा है कि 10 में से 6 भारतीय फाइनेंशियल फ्रॉड की सूचना रेगुलेटर्स या लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को नहीं देते हैं. सर्वे में शामिल लोगों में से 43 फीसदी ने क्रेडिट कार्ड पर फ्रॉड वाले ट्रांजैक्शन की बात कही है. 36 फीसदी ने कहा कि उनके साथ फ्रॉड वाला ट्रांजैक्शन हुआ है. 

क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के बारे में 53 फीसदी लोगों ने अनऑथराइज्ड चार्ज के बारे में बात की है. वहीं आरबीआई के डेटा की बात करें तो 2023-24 में फ्रॉड के मामले 166 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 36 हजार से भी ज्यादा रहे हैं. देशभर में साइबर क्राइम को रोकने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.

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