
पंजाब पुलिस की साइबर क्राइम डिवीजन ने अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) को देखने, प्रसारित करने और वितरित करने में शामिल 54 संदिग्धों की पहचान की है. जिनमें से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. यह जानकारी खुद राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) गौरव यादव ने गुरुवार को दी.
यह घटनाक्रम हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद हुआ है, जिसमें कहा गया था कि बाल पोर्नोग्राफी देखना और डाउनलोड करना पोक्सो अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध है.
पंजाब पुलिस ने यहां एक बयान में कहा कि सीएसएएम से तात्पर्य किसी भी ऐसी सामग्री से है, जिसमें नाबालिगों को यौन तरीके से दिखाया या उनका शोषण किया जाता है, जिसमें फोटो, वीडियो या मीडिया शामिल हैं, जिसे बनाना, वितरित करना या रखना अवैध है, जिससे पीड़ितों को लंबे समय तक नुकसान पहुंचता है और पीड़ितों पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव के कारण इसे बाल शोषण का गंभीर रूप माना जाता है,
पीटीआई के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आरोपी की पहचान फाजिल्का के रामसरा निवासी विजयपाल के रूप में हुई है. पुलिस टीम ने मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उचित हैश वैल्यू दर्ज करके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त कर लिए हैं.
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि इस संबंध में साइबर थाने में आईटी एक्ट की धारा 67बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. गृह मंत्रालय से सीएसएएम सामग्री के प्रसारण के संबंध में साइबर टिपलाइन (बच्चों के ऑनलाइन शोषण के लिए केंद्रीकृत रिपोर्टिंग प्रणाली) प्राप्त होने के बाद, राज्य साइबर अपराध प्रभाग ने पुलिस आयुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के साथ समन्वय में ऐसी सामग्री को देखने, प्रसारित करने और वितरित करने में शामिल व्यक्तियों को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है.
पुलिस महानिदेशक ने बताया कि अभियान के पहले चरण में पंजाब भर में 54 संदिग्धों की पहचान की गई है, जबकि इंस्टाग्राम और टेलीग्राम का उपयोग करके सीएसएएम बेचने और साझा करने वाले एक व्यक्ति को फाजिल्का से गिरफ्तार किया गया है. डीजीपी ने बताया कि पुलिस टीमों ने अभियान के दौरान विभिन्न संदिग्धों से 39 डिवाइस जब्त किए हैं और उन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है.
डीजीपी ने बताया कि इसके अलावा, ऐसे जघन्य अपराधों में शामिल अन्य अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए जांच जारी है. साइबर क्राइम की अतिरिक्त डीजीपी वी.नीरजा ने कहा कि यह अभियान, जिसका समन्वय एसपी साइबर क्राइम जशनदीप गिल ने किया, ऑनलाइन बाल शोषण से निपटने के पंजाब के प्रयासों का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि अभियान अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है.
एडिषनल डीजीपी ने कहा कि मौजूदा कानून के तहत, सीएसएएम को देखना, वितरित करना या संग्रहीत करना 67(बी) आईटी अधिनियम, 2000 के साथ पॉक्सो अधिनियम की धारा 15 के तहत एक आपराधिक अपराध है और इसके लिए पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
पंजाब पुलिस के सभी 28 जिलों और कमिश्नरेट में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन हैं, जो साइबर अपराधों की जांच के लिए साइबर जांच और तकनीकी सहायता इकाइयों से लैस हैं. बयान में कहा गया है कि आगे की सहायता या सीएसएएम की रिपोर्ट करने के लिए लोग राज्य साइबर अपराध प्रभाग या स्थानीय जिला साइबर अपराध पुलिस स्टेशन से संपर्क कर सकते हैं.