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'Hello, मैं CM ऑफिस से बोल रहा हूं'... इस चाचा-भतीजे की जोड़ी के आगे बंटी-बबली भी फेल!

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने ऐसे दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, जो कि सीएम ऑफिस के नाम पर लोगों को चूना लगा रहे थे. इतना नहीं कॉल स्पूफिंग के जरिए बड़े-बड़े अफसरों को हड़का अपना काम करा लेते थे. आरोपियों को अयोध्या रोड लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है.

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने ऐसे दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने ऐसे दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है.
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 13 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री ऑफिस के नाम पर ठगी और धोखाधड़ी का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां यूपी एसटीएफ ने दो ऐसे साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, जो सीएफ ऑफिस का अधिकारी बनकर लोगों को फोन करते और उन्हें ठग लेते थे. इतना नहीं कॉल स्पूफिंग के जरिए बड़े-बड़े अफसरों को हड़का कर अपना काम करा लेते थे. दोनों आरोपियों को अयोध्या रोड लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है.

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जानकारी के मुताबिक, पुलिस के हत्थे चढ़े इन ठगों के नाम अन्वेष तिवारी और कप्तान तिवारी है. दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे हैं. लेकिन इनकी जोड़ी बंटी और बबली से भी तेज है. दोनों वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) कॉल के जरिए यूपे के सीएम योगी आदित्यनाथ के निजी सचिव, लोक निर्माण मंत्री के निजी सचिव और ऊर्जा मंत्री के निजी सचिव के सीयूजी नंबर की कॉल स्पूफिंग किया करते थे.

पुलिस की गिरफ्त में आया अन्वेष तिवारी एमसीए किया है. वो फ्रीलांच सॉफ्टवेयर डवलपर के रूप में काम कर रहा था. उसने अपने चाचा पूर्व प्रधान कप्तान तिवारी के कहने पर पिछले साल अयोध्या के एसडीएम को सीएम का निजी सचिव बनकर कॉल किया था. इसके बाद उनसे गांव में हो रहे निर्माण कार्य को रुकवा दिया था. इसी तरह उसने बरेली के इज्जत नगर में इंस्पेक्टर को करके एक मामले में कार्रवाई नहीं करने को कहा था. 

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इसी मामले में इंस्पेक्टर ने अन्वेष तिवारी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. चाचा-भतीजे की जोड़ी हर रोज कोई न कोई कांड कर रही थी. लोगों को ठग रही थी. पुलिस को इनके बारे में लगातार शिकायत मिल रही थी. पूछताछ मे गिरोह के मास्टरमाइंड अन्वेष तिवारी ने बताया कि उसने साल 2018 में डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या से पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा था.

आरोपी ने साल 2023 में खुद की कंपनी बनाई थी. साल 2022 में उसे इंडीकॉल ऐप के बारे में पता चला था. इसके जरिए बिना नंबर शो किए किसी को भी कॉल किया जा सकता है. उसने जब अपने चाचा कप्तान तिवारी को इसके बारे में बताया, तो उसने लोगों के साथ ठगी की बात सूझ गई. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से चार फोन, एक मीडिया डायरेक्ट्री, एक कार, आधार कार्ड और पैन कार्ड बरामद किए हैं. उनसे पूछताछ जारी है.

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