
देश में साइबर क्राइम के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. साल 2022 की तुलना में पिछले साल साइबर ठगी के मामलों में 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी. एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में 65893 साइबर क्राइम के केस दर्ज किए गए थे. साल 2021 में 52974 मामले दर्ज हुए थे. इनमें सबसे अधिक करीब 65 फीसदी केस धोखाधड़ी के हैं. हैरानी की बात तो ये है कि आधुनिक होती तकनीक के साथ ठग भी स्मार्ट होते जा रहे हैं. ठगी के परंपरागत तरीकों को छोड़कर ऑनलाइन लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. इनमें सबसे खतरनाक वॉयस क्लोनिंग माना जा रहा है, जिससे ज्यादातर लोग अनजान हैं.
वॉयस क्लोनिंग के जरिए ठगी के मामलों में ठग किसी नजदीकी रिश्तेदार या जानकार की आवाज कॉल करके मदद की मांग करते हैं. कॉल करके मुसीबत में फंसे होने की बात कहकर पैसों की डिमांड करते हैं. ज्यादातर लोग डरकर उनकी जाल में फंस जाते हैं. इस तरह लाखों रुपए गंवा बैठते हैं. दिल्ली एनसीआर में भी वॉयस क्लोनिंग के जरिए ठगी के कई मामले सामने आ चुके हैं. ताजा मामला, दिल्ली के पीतमपुरा में सामने आया है. यहां रहने वाले राजेश कुमार गर्ग एमसीडी में इंजीनियर हैं. उनका बेटा हैदराबाद में एमबीए कर रहा है. 9 जनवरी को उनके पास एक फोन आया. कॉलर ने खुद को हैदराबाद का पुलिस अधिकारी बताया और कहा कि उनका बेटा बलात्कार के एक मामले में पकड़ा गया है. वह अच्छे घर से लग रहा है, इसलिए वो उसको छोड़ने की सोच रहा है, लेकिन इसके लिए उनको पैसे देने होंगे.
कॉलर की बात सुनकर इंजीनियर के पैरों तले जमीन खिसक गई
उस कॉलर ने राजेश कुमार गर्ग को उनके बेटे से बात भी कराई. वो रोते हुए उनसे खुद को रिहा करवाने की गुहार लगा रहा था. इसके लिए उनसे 50 हजार रुपए की मांग की गई. बेटे की आवाज सुनकर राजेश के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने कॉलर से मिन्नते करके 20 हजार में बात फाइनल की और पैसे को ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया. इसके बाद उनके परिजनों ने जब बेटे को कॉल किया तो उसने बताया कि वो तो बिल्कुल सही है. अभी अपने कॉलेज में पढाई कर रहा है. इसके बाद उन लोगों को समझ में आया कि उनके साथ ठगी की गई है. इस वारदात के बाद पीड़ित ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है.
ठग ने कहा- आपका बेटा गैंगरेप के आरोप में गिरफ्तार हुआ है
इसी तरह नोएडा के सेक्टर 78 में स्थित महागुन मोर्डन सोसाइटी में रहने वाले एमसीडी के एक इंजीनियर के साथ भी ठगी हुई. इंजीनियर हिमांशु शेखर सिंह ने साइबर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई है. पिछले महीने उनके 18 वर्षीय बेटे का जेईई मॉक टेस्ट था, जिसके लिए वो उसको एग्जाम सेंटर पर छोड़कर 20 किलोमीटर दूर काम करने चले गए. एक घंटा बीतने के बाद +92 कंट्री कोड वाले एक नंबर से हिमांशु शेखर को कॉल आया. उस कॉल रिसीव करने पर दूसरी तरफ से एक व्यक्ति ने खुद का परिचय विनोद कुमार देते हुए बताया कि वो पुलिस इंस्पेक्टर है. उनका बेटा गैंगरेप करने वाले एक गिरोह के साथ पकड़ा गया है.
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बेटे को पुलिस से बचाने के लिए की गई इतने पैसों की डिमांड
कॉलर ने कहा कि यदि वो अपने बेटे को बचाना चाहते हैं तो उन्हें तुरंत 30 हजार रुपए पेटीएम कर दे. हिमांशु को यकीन हो जाए कि उनके बेटे को वाकई पुलिस ने गिरफ्तार किया है, इसके लिए जालसाजों ने बाकायदा हिमांशु से फोन कॉल पर यह कहा कि आप अपने बेटे से खुद बात कर लीजिए. उसके बाद वॉयस क्लोनिंग के जरिए हूबहू हिमांशु के बेटे की तरह आवाज निकाल कर उनकी बात कराई गई. आवाज और बात करने का तरीका सुनकर हिमांशु को यकीन हो गया कि वाकई पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है. इसके बाद वो पुलिसवाले के कहे अनुसार पैसे ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए तैयार हो गए.
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साइबर ठगों के जाल में फंसने के बावजूद बाल-बाल बच गए
हिमांशु शेखर सिंह का कहना है कि उनको ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करना नहीं आता है. इसलिए वो किसी दुकानदार से पैसे ट्रांसफर करवाने के लिए चले गए. उन्होंने अपने ड्राइवर को दुकानदार बताकर उसके नंबर से फर्जी पुलिसकर्मी को 10000 रुपए ट्रांसफर करने को कोशिश की, जो पहली बार मे फेल हो गया. दूसरी कोशिश में पैसे ट्रांसफर हो गए. इसके बाद जालसाज और पैसे की डिमांड करने लगे. इसी बीच वो अपने बेटे के एग्जाम सेंटर तक पहुंच गए. लेकिन वहां अंदर नहीं जाने दिया गया. इसके बाद वो गाजियाबाद पुलिस की मदद से एग्जाम सेंटर के अंदर गए, जहां बेटे को देखकर उन्होंने चैन की सांस ली.