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क्राइम न्यूज़

राजकोट: 10 साल से घर में कैद थे 3 भाई-बहन, पिता बोले- रिश्तेदारों ने कराया काला जादू

गोपी घांघर
  • 28 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:55 PM IST
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राजकोट से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक ही परिवार के दो भाई और एक बहन ने पूरे 10 साल बाद दिन का उजाला देखा. ये भाई-बहन पिछले 10 सालों से घर की चार दीवारों में कैद थे. 10 साल से इन लोगों ने न तो बाहर की दुनिया देखी और न ही आसपास के लोगों को देखा. 

(इनपुट- गोपी घांघर)
(फोटो आजतक)

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रविवार को एक एनजीओ ने जब तीनों भाई-बहनों को कमरे से बाहर निकाला तो उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई.  कमरे में हर जगह सामान बिखरा पड़ा था. मानव मल की बदबू आ रही थी और चारों तरफ अखबार फैले पड़े थे. बासी खाना, दाल और रोटियां बिखरी पड़ी थीं.  भाइयों के बाल घुटनों तक बड़े हो चुके थे. उनकी दाढ़ी पेट तक लंबी थी.  उनके शरीर पर कपड़े नहीं थे.  शरीर की हड्डियां दिखने लगी थीं और तीनों भाई-बहन जमीन पर लेटे हुए थे. 

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इन तीनों भाई-बहनों के 80 साल के पिता नवीन मेहता ने बताया कि उनका सबसे बड़ा बेटा (42) बीए एलएलबी करके प्रैक्टिस करता था.  उनकी 39 साल की बहन के पास मनोविज्ञान में एमए की डिग्री थी.  सबसे छोटे बेटा क्रिकेटर था और स्थानीय टूर्नामेंट में खेलता था. 

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नवीन मेहता भी एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी है, वो भी इसी घर में रहते हैं. उन्हें 35,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलती है.  उसी से वो घर का खर्च चलाते हैं. नवीन ने बताया, 'उनकी पत्नी की मौत दस साल पहले हो गई थी. उसके बाद तीनों बच्चों को बड़ा झटका लगा और उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया. बहुत कोशिशों के बाद भी वे बाहर नहीं निकले. ' नवीन मेहता ने बताया कि उनके कुछ रिश्तेदारों ने उनके बच्चों पर काला जादू किया है. जिसकी वजह से उनकी ऐसी हालत हो गई है. 

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एनजीओ ने बताया कि युवती ठीक है लेकिन वो लगातार खाना मांग रही है और उसने कहा कि वो अपने भाइयों की देखभाल कर लेगी. इस परिवार के बारे में जानकारी एनजीओ को पड़ोसियों ने दी थी. फिर सूचना पर एनजीओ के सदस्य उनके घर किसानपारा इलाके में पहुंचे. 

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लंबे इंतजार के बाद भी जब कोई नहीं आया तो उन लोगों ने दरवाजे का ताला तोड़ दिया और अंदर दाखिल हो गए. कमरे की और तीनों भाई-बहनों की हालत देखकर वे दंग हो गए. एनजीओ के सदस्यों ने नाई को बुलवाया और उनके बाल कटवाए, दाढ़ी बनवाई. उन लोगों को नहलाया गया और साफ कपड़े पहनाए गए.

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