
महाराष्ट्र के ठाणे शहर में दो लोगों के खिलाफ निवेश पर आकर्षक रिटर्न का वादा करके 6.25 करोड़ रुपए की ठगी का मामला दर्ज किया गया है. आरोपियों की पहचान मनीष मलकान और अर्पित शाह के रूप में हुई है. पीड़ितों की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ अक्टूबर 2020 से मई 2023 के बीच हुई धोखाधड़ी के लिए आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वासघात) सहित प्रावधानों के तहत केस दर्ज हुआ है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपियों ने लोगों को अपनी कंपनी मनी मेकर मलकान में निवेश करने का लालच दिया. इस कंपनी के बारे में उनका दावा था कि उसे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) से लाइसेंस प्राप्त है. आरोपियों ने उच्च रिटर्न का आश्वासन दिया. निवेश पर 6 से 8 प्रतिशत लाभ का वादा किया. इसके बाद लोगों को बड़ी रकम निवेश करने के लिए राजी कर लिया.
लोगों ने बड़े पैमाने पर उनकी कंपनी में निवेश किया. इस दौरान वे कुछ लोगों को भुगतान भी करते रहे, ताकि लोगों का भरोसा उन पर बना रहे. लेकिन फरवरी 2023 के बाद उन लोगों ने भुगतान बंद कर दिया. लोग अपना मूल धन वापस मांगने लगे, लेकिन आरोपी पैसे लौटाने की बजाए निवेशकों से संपर्क खत्म कर लिया. इस तरह करीब 24 निवेशकों के 6.25 करोड़ रुपए डूब गए. पुलिस इसकी जांच कर रही है.
बिल्डर से 12 करोड़ की ठगी, दंपति पर केस दर्ज
इसी तरह एक अन्य मामले में ठाणे जिले में धोखाधड़ी के आरोप में एक दंपति के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. दंपति पर आरोप है कि उन्होंने एक हाउसिंग सोसाइटी के पुनर्विकास को लेकर हुए विवाद में बिल्डर से 12 करोड़ रुपए की ठगी की है. आरोपियों की पहचान श्रीकांत पई और उनकी वकील पत्नी दिव्या पई के रूप में हुए हैं. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत केस दर्ज है.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि दंपति ने जनवरी 2018 से मई 2024 के बीच उनसे 12 करोड़ रुपए ठगे. आरोपियों ने हाउसिंग सोसाइटी के पुनर्विकास के लिए फ्लैट मालिकों से मंजूरी, अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाने और अन्य किरायेदारों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने का वादा करके शिकायतकर्ता से पैसे लिए थे. इतना ही नहीं दोनों ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर फ्लैट बेचे, जिससे परियोजना में काफी देरी हुई.