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दिल्ली में 32 लाख के बैंक फ्रॉड केस में 39 साल बाद फैसला, 78 साल का आरोपी दोषी करार

दिल्ली की जिला अदालतों में चल रहे सबसे पुराने आपराधिक मामलों में से एक में आखिरकार 39 साल बाद फैसला आ गया. बैंक के साथ धोखाधड़ी से संबंधित ये मामला साल 1986 में दर्ज किया गया था. पंजाब एंड सिंध बैंक नई दिल्ली के तत्कालीन रीजनल मैनेजर ने दो शिकायतें दर्ज कराई थी.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सृष्टि ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

दिल्ली की जिला अदालतों में चल रहे सबसे पुराने आपराधिक मामलों में से एक में आखिरकार 39 साल बाद फैसला आ गया. बैंक के साथ धोखाधड़ी से संबंधित ये मामला साल 1986 में दर्ज किया गया था. पंजाब एंड सिंध बैंक नई दिल्ली के तत्कालीन रीजनल मैनेजर ने दो शिकायतें दर्ज कराई थी. इसकी जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई थी. जांच एजेंसी ने दो साल बाद 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. 

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सीबीआई की चार्जशीट में 13 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 477ए (बैंक खातों में जालसाजी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगाया गया था. आरोप था कि इन लोगों ने धोखाधड़ी और बैंक खातों में अवैध रूप से पैसे जमा करके बैंक को 32 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया है. इसमें मुख्य आरोपी एसके त्यागी पर 1984-85 में धोखाधड़ी का आरोप लगा था.

इस मामले में केस दर्ज होने के बाद करीब 39 साल के बाद 78 वर्षीय एसके त्यागी ने अपना अपराध स्वीकार किया, जिसके बाद दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया. हालांकि, कोर्ट ने उनकी उम्र और मुकदमे की अवधि को देखते हुए अधिकतम सजा नहीं देने का फैसला किया. साल 1988 से में कोर्ट ने उनको 'अदालत स्थगित होने तक' की सजा सुनाई थी. इसका मतलब वो दिन भर के लिए हिरासत में रहे.

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एसके त्यागी ने साल 1984-1985 के दौरान कुछ लोगों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश के तहत पंजाब और सिंध बैंक के साथ धोखाधड़ी की थी. उन्होंने दस्तावेजों, मूल्यवान प्रतिभूतियों और बैंक खातों में जालसाजी करके फर्जी क्रेडिट किया और चेक क्लियर कराए. आरोपियों के खातों में पैसे न होने के बावजूद भुगतान किए गए. जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने अपनी चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी.

सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के कई वर्षों के बाद दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए. साल 2019 में इस मामले को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया. 29 जनवरी, 2025 को कोर्ट ने एक आरोपी एसके त्यागी द्वारा दोषी होने की दलील देने के लिए दायर आवेदन पर विचार किया. आरोपी ने कोर्ट से कहा कि उन अपराधों के लिए खुद को दोषी मानता है.

इसके बाद कोर्ट ने उसे नतीजों के बारे में समझाया, लेकिन एसके त्यागी ने अपनी बात पर अड़े रहे. उनको दोषी करार देते हुए कोर्ट ने कहा कि वो संतुष्ट है कि उसने स्वेच्छा से अपराध स्वीकार किया है. यह किसी भी बल, भय या दबाव से मुक्त है. स्वैच्छिक दोष स्वीकार करने पर अभियोजन पक्ष के मामले पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो आरोपी को दोष स्वीकारने से रोके.

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सीबीआई ने एसके त्यागी के लिए अधिकतम सजा की मांग की है. अभियोजन पक्ष के वकील ने न्यायालय से कहा कि दोषी एस.के. त्यागी को अधिकतम सजा दी जाए, ताकि समाज में एक संदेश जाए. समान विचारधारा वाले लोगों को आपराधिक और जघन्य गतिविधियों में शामिल होने से हतोत्साहित किया जाए. इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिकतम उम्रकैद की सजा देना कठोर होगा. दोषी ने पश्चाताप करने की इच्छा दिखाई है.

कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में दोषी को सुधार के लिए उचित अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि वह देश का उपयोगी नागरिक बन सके. इसके साथ ही अपराधी को ऐसी सजा मिलनी चाहिए, जो समाज के अन्य समान विचारधारा वाले लोगों को अपराध की दुनिया में प्रवेश करने से हतोत्साहित करे. अपराध को एक सामाजिक और व्यक्तिगत घटना के रूप में समझना भी आवश्यक है. अपराधी का सुधार एक सामाजिक उद्देश्य है.

अदालत से सजा में नरमी बरते जाने की मांग करते हुए एसके त्यागी ने भी कहा कि वो 78 साल के हैं. उनके पास आय का कोई साधन नहीं है. उन्होंने अदालत को ये भी बताया कि उनकी पत्नी की आय पर वो निर्भर हैं. उनकी पत्नी को पार्किंसंस रोग है. उन्होंने ये भी बताया कि बैंक से लिया गया पैसा वन-टाइम सेटलमेंट के रूप में बैंक को वापस कर दिया गया था. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में सजा का ऐलान नहीं किया है.

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