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कैमरे पर एम्स पैनलिस्ट: 'सुशांत सिंह राजपूत की हत्या का कोई सबूत नहीं, चैप्टर बंद हो चुका है'

एम्स के फॉरेन्सिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ आदर्श कुमार ने इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम को बताया, "कूपर अस्पताल (रिपोर्ट) की राय के मुताबिक ये क्लियर कट फांसी का केस है. अभी तक हमें कुछ भी विशिष्ट (संदिग्ध) नहीं मिला है, जिस पर हम एक सवालिया निशान लगा सकें. सब कुछ आपस में जुड़ रहा है."  

सुशांत सिंह राजपूत सुशांत सिंह राजपूत
मिलन शर्मा/मो. हिज्बुल्लाह
  • नई दिल्ली ,
  • 04 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

मुंबई के कूपर अस्पताल की ओर से की गई सुशांत सिंह राजपूत की ऑटोप्सी में पैनल को कोई साफ दिखाई देने वाली खामियां नहीं मिली हैं.” ये पुष्टि दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के एक सीनियर फोरेंसिक-मेडिसिन एक्सपर्ट ने टेप पर की है. इस एक्सपर्ट का राजपूत की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के दोबारा मूल्यांकन से जुड़ाव रहा है.  

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बता दें कि कूपर अस्पताल की उसी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही मुंबई पुलिस ने राजपूत की मौत का कारण फांसी लगाकर खुदकुशी करना बताया था. 

एम्स के फॉरेन्सिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ आदर्श कुमार ने इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम को बताया, "कूपर अस्पताल (रिपोर्ट) की राय के मुताबिक ये क्लियर कट फांसी का केस है. अभी तक हमें कुछ भी विशिष्ट (संदिग्ध) नहीं मिला है, जिस पर हम एक सवालिया निशान लगा सकें. सब कुछ आपस में जुड़ रहा है."  

‘चैप्टर बंद हो चुका है’ 

रिपोर्टर- "क्या आप फिर से वहां जा रहे हैं?"  

डॉ कुमार-  "नहीं, नहीं...इसका अब कोई मतलब नहीं है. हम फिर से वहां क्यों जाएंगे? हमने वही किया है जो किया जाना चाहिए था. चैप्टर बंद है." डॉ कुमार ने स्वीकार किया कि उनकी टीम को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे कि अभिनेता को जहर दिए जाने का कोई संकेत मिलता हो. 

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जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पोस्टमार्टम निष्कर्षों के साथ सहमति व्यक्त की है जो जहर दिए जाने को खारिज करते हैं, तो उनका जवाब था- "हाँ, अब तक,"  

रिपोर्टर- "उनका तरीका सही था?"  

डॉ कुमार- "हां"  

"तो, क्या उन्होंने(राजपूत) खुद को उस जगह (बेड और अपने अपार्टमेंट के पंखे के बीच) से लटकाया हो सकता है?" 

डॉ कुमार-  "आसानी से, इस बारे में कोई भ्रम नहीं है.” ऐसा (उन्होंने खुद को फांसी लगाई) ही बहुत संभव हुआ.” 

कूपर से एम्स एक राय 

एक और बैठक में, एम्स फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने स्वीकार किया कि मुंबई के अस्पताल ने मामूली मुद्दों को छोड़, बड़े पैमाने पर राजपूत की ऑटोप्सी में प्रक्रियाओं का पालन किया. 

डॉ कुमार ने कहा, "आरोपों का मतलब यह नहीं है कि वे सच हैं. हमने उन आरोपों के आधार पर जांच की.” उन्होंने आगे कहा, "लोग कहते हैं कि वे (कूपर के डॉक्टर) इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे कर सकते हैं? लेकिन जब आप सिस्टम को असल में देखते हैं, तो आपको पता चलता है कि उन्होंने जो भी वहां लागू था, उसका पालन किया. यदि उन्होंने किसी मकसद से कुछ गलत किया या नहीं किया होता, तो वो चूक होता. अन्यथा ये चूक नहीं है.” 

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डॉ कुमार के मुताबिक, कूपर अस्पताल ने निर्धारित पैटर्न का पालन किया. उन्होंने कहा, "यह एक अलग बात है कि कुछ अन्य लोग उस पैटर्न को पचा नहीं पा रहे हैं क्योंकि सिस्टम मोटे तौर पर अन्यत्र अलग होता है.” 

रिपोर्टर- "तो मूल रूप से आपको SSR केस में कुछ भी (अप्रिय) नहीं मिला?"  

डॉ कुमार- "कुछ नहीं"  

एम्स पैनल ने सीबीआई को 29 सितंबर को अपने निष्कर्ष सौंपे थे जिससे कि जांच एजेंसी अपने अंतिम नतीजे पर पहुंच सके. 

इससे पहले, राजपूत की रहस्यमय मौत की सीबीआई जांच में शामिल, केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के एक वैज्ञानिक ने इंडिया टुडे को बताया था कि उनकी टीम को भी अब तक कोई बाध्यकारी सबूत नहीं मिला, जिससे यह पता चले कि अभिनेता की हत्या हुई थी. 

सीएफएसएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी अमितोष कुमार ने इंडिया टुडे की एसआईटी को बताया, "कोई गला नहीं दबाया गया. उन्होंने फांसी लगाई. लिगचर के निशान बताते हैं कि उनकी मौत फांसी से हुई." 

 

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