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दिल्ली के एक स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी, मेल मिलने के बाद खाली कराया गया कैंपस

राजधानी दिल्ली के एक स्कूल को बम से उड़ाने का एक ईमेल मिला. मेल मिलने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई, जिसके बाद बम स्क्वॉड मौके पर पहुंच गया. सावधानी बरतते हुए सबसे पहले पूरे कैंपस को खाली करवाया गया और फिर बॉम्ब स्कॉड ने अपनी कार्रवाई शुरू की. अभी के लिए टीम को स्कूल में कोई बम नहीं मिला है.  

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST

राजधानी दिल्ली के एक स्कूल को बम से उड़ाने का एक ईमेल मिला. मेल मिलने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई, जिसके बाद बम स्क्वॉड मौके पर पहुंच गया. सावधानी बरतते हुए सबसे पहले पूरे कैंपस को खाली करवाया गया और फिर बॉम्ब स्कॉड ने अपनी कार्रवाई शुरू की. अभी के लिए टीम को स्कूल में कोई बम नहीं मिला है.  

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टीम की तरफ से पूरे स्कूल की जांच की गई, डॉग स्कॉड का भी इस्तेमाल हुआ. लेकिन कही कोई बम नहीं मिला. साउथ डिस्ट्रिक्ट की डीसीपी का कहना है कि ईमेल की जांच की जा रही है. जिले की साइबर टीम मामले की जांच कर रही है. शुरुआती जांच में पुलिस को लग रहा है कि ये किसी की शरारत है.

हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश आने से पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नाम से धमकी भरी चिट्ठी मिली थी. चिट्ठी में कांग्रेस नेता को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी. धमकीभरा पत्र एक मिठाई की दुकान के बाहर एक अज्ञात शख्स छोड़ गया था. चिट्ठी में 'भारत जोड़ो यात्रा' के इंदौर पहुंचने पर राहुल गांधी को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी.

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ऐसा ही एक मामला अप्रैल 2022 को बेंगलुरु में सामने आया था. यहां किसी ने छह स्कूलों में बम की धमकी वाला मेल भेज दिया था. सभी छह स्कूलों में इस वक्त एग्जाम चल रहे थे. सुबह 11 बजे ईमेल आया था कि स्कूल परिसरों में बम प्लांट किये गए हैं. इसके बाद तुरंत पुलिस मौके पर पहुंच गई थी.

ऐसा ही एक केस जून 2022 में सामने आया था, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rss) के 6 कार्यालयों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी. इस मामले में लखनऊ के मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. जिन कार्यालयों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी, उसमें उत्तर प्रदेश के दो कार्यालय और चार कर्नाटक के कार्यालय शामिल थे. वॉट्सएप ग्रुप में तीन अलग-अलग भाषाओं में धमकी दी गई थी. इसमें हिंदी, अंग्रेजी और कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल किया गया था.

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