
महाराष्ट्र के बदलापुर के स्कूल में बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न के आरोपी की पुलिस एनकाउंटर में मौत के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीआईडी को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट का कहना था कि सीआईडी इस मामले की जांच हल्के में ले रही है. सभी मामलों में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर जोर देते हुए जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में सीआईडी का आचरण संदेह के घेर में है.
हाईकोर्ट ने कहा, "बेहतर जांच के लिए स्थानीय पुलिस से केस लेकर सीआईडी को दिए जाते हैं. उसका प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि सभी दस्तावेज एकत्र किए जाएं और उचित जांच के लिए मजिस्ट्रेट को सौंपे जाएं. हर जांच में निष्पक्षता होनी चाहिए. यहां तक कि आरोपी और उसके परिवार के भी अधिकार हैं.'' इसके बाद पीठ को बताया गया कि सभी दस्तावेज और जानकारी मजिस्ट्रेट को सौंप दी गई है. शेष एक सप्ताह में सौंप दिया जाएगा.
कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 20 जनवरी, 2025 को तय की है. उस समय तक मजिस्ट्रेट को कोर्ट को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी. पुलिस के अनुसार, आरोपी अक्षय शिंदे ने 24 सितंबर को पुलिस वैन में बैठे एक पुलिसकर्मी से जबरन पिस्तौल छीन ली. उस वक्त उसे नवी मुंबई की तलोजा जेल से दूसरे मामले में पूछताछ के लिए ठाणे ले जाया जा रहा था. शिंदे ने वैन के अंदर तीन राउंड गोली चलाई, जिसमें से एक गोली पुलिस अधिकारी को लगी.
इस गोलीबारी में पुलिस अधिकारी घायल हो गए. इसके बाद जवाबी कार्रवाई में एक अन्य पुलिस अधिकारी ने भी गोली चलाई जो अक्षय शिंदे को लगी. इसमें उसकी मौत हो गई. पुलिस ने दावा किया कि शिंदे की हथकड़ी इसलिए खोल दी गई, क्योंकि उसने पानी मांगा था. उसे वैन के अंदर एक बोतल से पानी पिलाया गया. इस पुलिस एनकाउंटर के बाद शिंदे के परिजनों की मांग कर जांच स्थानीय पुलिस से लेकर सीआईडी को सौंप दी गई थी.
अक्षय शिंदे के पिता अन्ना शिंदे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि उनके बेटे की फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई है. इस मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पुलिस से तीखे सवाल पूछे थे. कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के सिर पर गोली कैसे लगी, जबकि पुलिस को इसकी ट्रेनिंग दी जाती है कि गोली कहां चलानी है. उन्हें (पुलिस) हाथ या पैर में गोली चलानी चाहिए थी. चार पुलिसवाले थे, फिर कैसे संभव है कि काबू न कर पाएं.
जस्टिस चव्हाण ने सुनवाई के दौरान कहा था, ''पिस्टल पर फिंगर प्रिंट होने चाहिए और हैंड वॉश होना चाहिए. क्या यह हो गया? अगली तारीख पर सब कुछ पेश कीजिए. आपके मुताबिक उसने 3 फायर किए लेकिन सिर्फ 1 ही लगा. बाकी 2 कहां हैं? क्या यह पुलिसकर्मी पर सीधा फायर था या रिकोशे फायरिंग? पुलिस अधिकारी को क्या चोट आई है? छेदने वाली या ब्रश वाली?'' इस केस को लेकर हाई कोर्ट पुलिस और सीआईडी पर सख्त है.