
पंजाब सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जगतार सिंह हवारा की याचिका का विरोध किया, जो 1995 में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. उसने दिल्ली की तिहाड़ जेल से पंजाब की किसी जेल में ट्रांसफर करने की मांग की है. जस्टिस बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष दलीलें पेश की गईं.
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जगतार हवारा पहले चंडीगढ़ की जेल में बंद था. जगतार हवारा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस से कोर्ट ने पूछा कि क्या चंडीगढ़ को याचिका में पक्षकार बनाया गया है. इस पर उन्होंने कहा कि वो चंडीगढ़ को भी पक्षकार बनाएंगे. बेंच ने केंद्र चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी किया है.
इसमें 4 सप्ताह के भीतर हवारा की याचिका पर जवाब मांगा गया है. महाधिवक्ता ने कहा कि हवारा ने साल 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट में इसी तरह की राहत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि वो पंजाब जेल मैनुअल पर भरोसा कर रहा था, जो उस पर लागू नहीं था, क्योंकि उस पर चंडीगढ़ में मुकदमा चला था.
कोर्ट में गुरमिंदर सिंह ने कहा, "पंजाब में उसका कोई दावा नहीं है. यदि उसे ट्रांसफर किया जाना है, तो वो चंडीगढ़ होगा." इस पर कॉलिन गोंसाल्वेस ने कहा कि हवारा की याचिका में पंजाब की किसी भी जेल में स्थानांतरण की मांग की गई है. उसके परिवार का केवल उसकी बेटी है. वो पंजाब में रहती है. पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हवारा की याचिका पर जवाब मांगा था.
जगतार हवारा 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में हुए विस्फोट में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या से संबंधित मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. इस विस्फोट में 16 लोग मारे गए थे. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जेल में हवारा का आचरण अच्छा था. लेकिन 22 जनवरी, 2004 को हुए जेल ब्रेक में वो भाग गया था.
उसकी फरार के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. एक वकील सत्य मित्रा के जरिए से दायर याचिका में जगतार हवारा को जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उसके खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी में कोई मामला लंबित नहीं है. इसमें कहा गया है कि जेल ब्रेक के बाद उसकी दोबारा गिरफ्तारी से लेकर आज तक 19 साल बीत चुके हैं.
जेल में याचिकाकर्ता का आचरण बेदाग रहा है. यह भी कहा गया कि बेअंत सिंह की हत्या के बाद याचिकाकर्ता पर 36 झूठे मामले दर्ज किए गए थे. एक मामले को छोड़कर बाकी सभी में उसे बरी कर दिया गया था. इसी तरह के एक व्यक्ति को उसी हत्याकांड में दोषी था और वह भी जेल ब्रेक का हिस्सा था, उसे तिहाड़ जेल से चंडीगढ़ की जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.