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निलंबित IAS पूजा सिंघल को बड़ी राहत... 28 महीने बाद रिहा होंगी, इस वजह से मिली जमानत!

झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद निलंबित आईएएस पूजा सिंघल को बड़ी राहत मिली है. उनको शनिवार को कोर्ट ने जमानत दे दी है. वो अब 28 महीने तक जेल में बंद रहने के बाद रिहा हो जाएंगी. पूजा सिंघल ने नए कानून के तहत हिरासत के आधार पर जेल से रिहाई की गुहार लगाई थी.

निलंबित आईएएस पूजा सिंघल को बड़ी राहत मिली है. निलंबित आईएएस पूजा सिंघल को बड़ी राहत मिली है.
aajtak.in
  • रांची,
  • 07 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

झारखंड में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल में बंद निलंबित आईएएस पूजा सिंघल को बड़ी राहत मिली है. उनको शनिवार को कोर्ट ने जमानत दे दी है. वो अब 28 महीने तक जेल में बंद रहने के बाद रिहा हो जाएंगी. पूजा सिंघल ने नए कानून के तहत हिरासत के आधार पर जेल से रिहाई की गुहार लगाई थी, जिस पर रांची पीएमएलए की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई. 

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इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को यह बताने का निर्देश दिया था कि पूजा सिंघल कितने समय से जेल में हैं और उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि कितनी है. इसके जेल अधीक्षक ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था. निलंबित आईएएस पूजा सिंघल की वकील ने बताया कि नए कानून के तहत उनकी जमानत हुई है. 

इस कानून के तहत किसी मामले में लंबे समय से जेल में बंद आरोपी की न्यायिक हिरासत की अवधि उस मामले में दी गई सजा की एक तिहाई है, तो आरोपी को जमानत दी जा सकती है. पूजा सिंघल को 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था. मनरेगा फंड में हेराफेरी से जुड़े मामले में की गई कार्रवाई में उनके करीबियों के घर से बड़ी मात्रा में पैसा मिला था. 

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रांची स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट के यहां छापेमारी के दौरान 19 करोड़ 31 लाख रुपए जब्त किए गए थे. आरोपी सीए सुमन कुमार पूजा सिंघल का करीबी बताया गया. हालांकि, पूजा को एक मल्टी टैलेंटेड नौकरशाह के रूप में जाना जाता था. उनकी झोली में कई रिकॉर्ड हैं. उन्होंने महज 21 साल की उम्र में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास कर ली थी. 

2000 बैच की आईएएस पूजा सिंघल ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था. लेकिन अब उनके उपर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगा है. वो साल 2007 से 2010 के बीच झारखंड के तीन जिलों में कलेक्टर रही थीं. बताया जा रहा है कि उसी दौरान मनरेगा में 18 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी हुई. तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने जांच के आदेश दे दिए थे. 

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