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कोरोना काल में जरूरी चीजों की कालाबाजी से लोगों की मुश्किलें काफी ज्यादा बढ़ी हैं. अब जब कोरोना के मामले काबू में आ रहे हैं और ऑक्सीजन की जरूरत भी कम पड़ने लगी है, ऐसे में सिलेंडर और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में तो कमी देखने को मिल रही है, लेकिन अब इसकी जगह एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन को महंगे दाम में बेचा जा रहा है.
ये वहीं इंजेक्शन है जिसे इस समय ब्लैक फंगस के खिलाफ इस्तेमाल में लाया जा रहा है. लेकिन कुछ लोगों ने इस इंजेक्शन की भी कालाबाजारी शुरू कर दी है और वे फिर मरीज और उनके परिजन को परेशान करने का काम कर रहे हैं.
ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबाजारी
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने चार लोगों को एम्फोटेरिसिन बी नामक इंजेक्शन जिसे ब्लैक फंगस के इलाज में अहम माना जाता है, उसकी कालाबाजारी करते हुए पकड़ा है. क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से 8 इंजेक्शन जब्त किए हैं. आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वह एक इंजेक्शन 10 हजार रुपये में बेच रहे थे. पुलिस फिलहाल मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है.
अहमदाबाद शहर में कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस की बीमारी भी तेजी से बढ़ रही है. इसलिए अब कोरोना के बाद इस बीमारी के इलाज में अहम एम्फोटेरिसिन बी नामक इंजेक्शन की कालाबाजारी भी बढ़ती जा रही है. इससे पहले लोग रेमेडिसिविर और ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी कर रहे थे. उन्हें भी महंगे दाम में बेच चूना लगाने का काम कर रहे थे. अब जब कोरोना काबू में है और ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में कालाबाजारी करने वालों को फिर अपना धंधा चमकाने का मौका मिल गया है.
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10,000 रुपये में बेच जा रहे थे इंजेक्शन
अहमदाबाद क्राइम ब्रान्च को मिली सूचना के मुताबिक प्रग्नेश पटेल और स्मित रावल नाम के आरोपी ब्लैक फंगस की बीमारी में अहम भूमिका अदा करने वाले एम्फोटेरिसिन बी नामक इंजेक्शन को बाजार मूल्य से अधिक कीमत पर बेचते थे. क्राइम ब्रांच की टीम ने जाल बिछाकर प्रग्नेश पटेल, वशिष्ठ पटेल, नीरव पांचाल और स्मित रावल को गिरफ्तार कर लिया. चारों आरोपियों के पास से एम्फोटेरिसिन बी के आठ इंजेक्शन और 80 हजार रुपये नकद बरामद किए गए हैं. क्राइम ब्रांच की पूछताछ में पता चला कि इस इंजेक्शन की कीमत 314 रुपया है. लेकिन ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को ये इंजेक्शन10,000 रुपये में बेच जा रहे थे.