
उत्तर प्रदेश में अब जेल में बंद कैदियों को बाहर से कोई भी सामान नहीं मिल पाएगा. प्रशासन की तरफ से एक सख्त ऐलान कर दिया गया है जिसके तहत अब कैदियों के लिए बाहर के सामान पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. अब वैसे तो प्रशासन की तरफ से इस फैसले को कोरोना से जोड़ा जा रहा है, लेकिन खबर है कि चित्रकूट जेल कांड के बाद ये आदेश जारी किया गया है.
बंद कैदियों को बाहर से नहीं मिलेगा कोई सामान
आदेश में कहा गया है कि कैदियों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए बाहर के सामान पर रोक लगाई जाएगी. वहीं इस नियम के उल्लंघन पर कारापाल और अधीक्षक संयुक्त को जिम्मेदार माना जाएगा. अब कहने को इसे फैसले को कोरोना से जोड़ा जा रहा है, लेकिन यूपी में चित्रकूट जेलकांड काफी ज्यादा गरमा गया है. उस एक घटना के बाद से ही सरकार सवालों के घेरे में है और पुलिस पर भी लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. ऐसे में बाहर के सामान पर रोक लगा ऐसी घटनाओं को कम करने का भी प्रयास बताया जा रहा है.
फैसले का चित्रकूट फायरिंग कांड से कनेक्शन?
चित्रकूट फायरिंग कांड की बात करें तो इस घटना में जेल में बंद अंशु दीक्षित ने मुकीम और मेराज अली की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद उसने 5 कैदियों को बंधक भी बना लिया था. लेकिन फिर पुलिस मुठभेड़ में अंशु भी मारा गया. अब जब इस केस की जांच हो रही है तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं.
एक तरफ बताया जा रहा है कि घटना वाले दिन सीसीटीवी कैमरे काम ही नहीं कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ जेल वार्डन जगमोहन की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया है. ये वहीं शख्स है जो बागपत जेलकांड के दौरान भी जेल वार्डन था. बाद में उसका चित्रकूट तबादला किया गया था. इसके अलावा अमित नाम का सिपाही भी अंशु के काफी करीब था और उसके जरिए ही जेल में अंशु को जेल में कई सामान उपलब्ध होते थे. ऐसे में उसकी भूमिका पर भी सवाल हैं और ये भी जांच का विषय है.
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इस बीच प्रशासन का ये नया फरमान काफी मायने रखता है. अगर जेल में बंद कैदियों को बाहर से कोई सामान नहीं मिलेगा, तो ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है और सुरक्षा के लिहाज से भी ये ज्यादा कारगर रहेगा.