
देश की सबसे बड़ी अदालत ने बुधवार को चर्चित शीना बोरा हत्याकांड (Sheena Bora murder case) की आरोपी इंद्राणी मुखर्जी को संविधान के एक अनुच्छेद के कारण जमानत पर रिहा किया था. इसी तरह गुरुवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और रामपुर से सपा विधायक आजम खान को भी आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी. इन दोनों ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का हवाला दिया है. आइए जानते हैं कि आखिर ये अनुच्छेद क्या है?
संविधान का अनुच्छेद 142
भारत के संविधान में अनुच्छेद 142 की उपधारा 1 (Sub-section 1 of article 142) का संबंध सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेशों और आदेशों का प्रवर्तन और खोज संबंधी आदेश आदि से है. अनुच्छेद 142 की उपधारा 1 के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) का प्रयोग करते हुए ऐसा आदेश पारित (order pass) कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो पूर्ण करने के लिए आवश्यक (Necessary) हो. उसके समक्ष लंबित (Pending) किसी भी कारण या मामले में न्याय, और इस प्रकार पारित कोई डिक्री या ऐसा आदेश (Any decree or order) पूरे भारत के क्षेत्र में इस तरह से लागू करने योग्य (Enforceable) होगा जैसा कि संसद (Parliament) द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके तहत निर्धारित (Determined) किया जा सकता है और जब तक उस संबंध में प्रावधान (Provision) नहीं किया जाता है. इस तरह से बनाया गया है, जैसा कि राष्ट्रपति (President) आदेश द्वारा निर्धारित कर सकते हैं.
अनिवार्य रूप से, संविधान (Constitution) का यह प्रावधान (Provision) देश की शीर्ष अदालत को एक मामले में 'पूर्ण न्याय' करने की व्यापक शक्ति (Extensive power) देता है. अनुच्छेद 118 के मसौदे के रूप में शुरू हुआ था अनुच्छेद 142, जिसे संविधान सभा (Constituent Assembly) ने 27 मई 1949 को अपना लिया था.
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आसान भाषा में कहें तो संविधान का अनुच्छेद 142 (Article 142 of the Constitution) सुप्रीम कोर्ट को एक विशेष शक्ति (Special Power) देता है, जिसके तहत कोर्ट न्याय संबंधी (judicial) मामले में जरूरी निर्देश दे सकता है. अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून (Law) को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि (Most important) होगा. इसके तरह कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों. अदालत के आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कि इससे संबंधित प्रावधान (Provision) को लागू नहीं कर दिया जाता है.