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दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन अनिल नंदा के साथ फ्रॉड, पुलिस ने 3 आरोपियों को किया गिरफ्तार

दिल्ली के जाने माने बिजनेसमैन अनिल नंदा ने 3 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है. पुलिस ने शिकायत के आधार पर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. नंदा ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि इन तीनों के संबंध अंडरवर्ल्ड से हैं. पुलिस फिलहाल आरोपियों से पूछताछ कर रही है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:43 AM IST

दिल्ली के बड़े और नामचीन बिजनेसमैन अनिल नंदा के साथ फ्रॉड करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अरेस्ट किए गए आरोपियों के नाम अवनीश चन्द्र झा उर्फ तांत्रिक उर्फ गुरुजी, माजिद अली और धर्मेंद्र सिंह है. हालांकि, FIR में कुल 7 लोगों के नाम हैं.

पुलिस थाने में दर्ज शिकायत के मुताबिक अवनीश चन्द्र पर दिल्ली समेत हरियाणा और नगालैण्ड में भी मुकदमे दर्ज हैं. शिकायतकर्ता अनिल नंद ने आरोपियों के संबंध अंडरवर्ल्ड से होने के आरोप भी लगाए हैं. मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है. मामले में आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 408, 409, 420, 467, 468, 471, 120 B के तहत केस दर्ज किया गया है.

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दिल्ली में इससे पहले भी धोखाधड़ी के कई मामले सामने आते रहे हैं. हाल ही में 29 जुलाई 2022 को पुलिस की क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी के ऐसे मामले का खुलासा किया था, जिसमें सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक पूर्व रसोइए को गिरफ्तार किया गया था. पकड़ में आए आरोपी ने महज कुछ ही दिनों BSF इसलिए छोड़ दी थी क्योंकि वह अमीर बनना चाहता था. 

अमीर बनने के लिए उसने ठगी का रास्ता चुना था और 100 करोड़ की ठगी को अंजाम देकर फरार हो गया था. 2008 से 2011 के बीच दर्ज हुए 49 मामलों में राजस्थान पुलिस को ओमा राम की तलाश थी. आरोपी को 46 मामलों में भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका था. लेकिन ये शातिर पुलिस को चकमा देने के लिए न सिर्फ अपना नाम बार-बार बदल रहा था, बल्कि शहर भी बदल रहा था. दिल्ली पुलिस ने 6 महीने की कोशिश के बाद ओमा राम को गिरफ्तार किया था.

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दरअसल, राजस्थान के जोधपुर निवासी ओमा राम को साल 2004 में बीएसएफ में कुक की नौकरी मिली थी. लेकिन 2 साल बाद ही ओमा राम ने यह नौकरी छोड़ दी, क्योंकि उसे जल्दी अमीर बनना था. नौकरी छोड़ने के बाद ओमा राम ने साल 2007 में अपनी सिक्योरिटी कंपनी शुरू की थी और उसमें 60 लोगों को भर्ती किया था. फिर इस कंपनी को उसने एक्स सर्विसमैन राकेश मोहन को बेच दिया था. इसके बाद 2007 में ही उसने एक एमएलएम कंपनी में एजेंट की नौकरी शुरू की. यहां करीब डेढ़ करोड़ कमाने के बाद उसने यहां भी नौकरी छोड़ दी थी और 2009 में आरोपी ने एक अपनी लिमिटेड कंपनी खोली और खुद मैनेजिंग डायरेक्टर बन गया था.    

यह कंपनी नए सदस्यों के जुड़ने पर कमीशन देती थी. हर सदस्य को 4000 रुपये जमा करने थे, बदले में उन्हें 400 रुपये का एक सफारी सूट मिलता था. हर मेंबर को कमीशन प्राप्त करने के लिए कम से कम 10 और सदस्यों से जुड़ना पड़ता था. सदस्यों को उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न की भी गारंटी दी गई थी. लगातार 1 साल तक हर महीने 2 लाख का बिज़नेस देने वाले को इनाम में एक साल बाद बाइक दी जाती थी. इस तरह हजारों सदस्य जुड़ गए और कंपनी ने लोगों को 100 करोड़ का चूना लगा दिया. कुछ समय बाद कंपनी ने कमीशन देना बंद कर दिया.

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