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2 साल की बच्ची से बलात्कार के जुर्म में 25 साल की जेल, अपराधी ने शराब के नशे में की दरिंदगी

दिल्ली में साल 2012 में 2 साल की एक बच्ची से बलात्कार के जुर्म में एक अपराधी को 25 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही अदालत ने अपराधी पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है. अदालत में बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि अपराध करते समय वो शराब के नशे में था.

एक अपराधी को 25 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. एक अपराधी को 25 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:44 PM IST

दिल्ली में साल 2012 में 2 साल की एक बच्ची से बलात्कार के जुर्म में एक अपराधी को 25 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही अदालत ने अपराधी पर पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है. अदालत में बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि अपराध करते समय वो शराब के नशे में था. इस पर न्यायाधीश ने कहा कि नशे की हालत में होना अपराध को बचा नहीं सकता. उसे शराब पीने के लिए मजबूर नहीं किया गया, बल्कि उसने 'ड्राई डे' पर स्वेच्छा से शराब पी थी.

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया 26 वर्षीय आरोपी के खिलाफ सजा पर दलीलें सुन रही थीं. इसके बाद उन्होंने आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत उसे दोषी ठहराया. विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने कहा कि दोषी इस जघन्य कृत्य के लिए किसी भी तरह की नरमी का हकदार नहीं है. अदालत ने अपने फैसले में कहा की दोषी को 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई जाती है. इसके साथ ही 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है.

अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सजा की अवधि समाज को उचित प्रतिशोध और पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करेगी. दोषी को उसके कृत्य की गंभीरता का एहसास कराएगी. अदालत ने बचाव पक्ष के वकील के इस तर्क पर ध्यान दिया कि अपराध पूर्व नियोजित नहीं था, क्योंकि दोषी शराब के नशे में था. इस पर अदालत ने कहा, "बेशक अपराध के समय दोषी नशे में था. लेकिन यह कोई कम करने वाला कारक नहीं है, क्योंकि ऐसा नहीं है कि किसी ने उसे शराब पीने के लिए मजबूर किया हो.''

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बताते चलें कि पिछले साल नवंबर में दिल्ली की एक अदालत ने आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में 28 वर्षीय शख्स को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया इस मामले में सजा पर बहस सुन रही थीं, जिसमें आरोपी को आईपीसी की धारा 376 (2) (16 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार) के तहत दोषी ठहराया गया था. विशेष लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने अपराधी के लिए अधिकतम सजा की मांग की थी. 

अदालत ने 11 नवंबर 2024 को दिए अपने फैसले में कहा था कि बच्ची के साथ बलात्कार जघन्य अपराध है. बच्चे समाज की सबसे बहुमूल्य संपत्ति हैं. समाज का कर्तव्य है कि वह ना केवल उन्हें यौन हिंसा और शोषण से बचाए, बल्कि उन्हें खुश भी रखें. अदालत ने यह भी कहा कि दोषी ने बच्ची के साथ उस समय अपहरण और बलात्कार किया, जब वो 3 अप्रैल 2016 को नूडल्स खरीदने एक दुकान की ओर जा रही थी. उसके लिए वो एक साधारण और खुशहाल अनुभव होना चाहिए था.

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