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दिल्ली में चाइल्ड ट्रैफिकिंग गैंग का भंडाफोड़, 4 तस्कर गिरफ्तार, ऐसे करते थे मासूम बच्चों की चोरी

दिल्ली में पुलिस ने बाल तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इसके साथ ही पुलिस ने चार तस्करों को गिरफ्तार करते हुए दो बच्चों को बचा लिया है. इस गिरोह के पर्दाफाश होने की वजह से बच्चा चोरी के तीन मामलों को सुलझा लिया गया है, जिसे साल 2023 से 2025 के बीच दर्ज किया गया था.

दिल्ली में पुलिस ने बाल तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. दिल्ली में पुलिस ने बाल तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

दिल्ली में पुलिस ने बाल तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इसके साथ ही पुलिस ने चार तस्करों को गिरफ्तार करते हुए दो बच्चों को बचा लिया है. इस गिरोह के पर्दाफाश होने की वजह से बच्चा चोरी के तीन मामलों को सुलझा लिया गया है, जिसे साल 2023 से 2025 के बीच दर्ज किया गया था. ये गिरोह गोद लेने के बहाने निःसंतान दंपतियों को तस्करी किए गए बच्चों की आपूर्ति कर रहा था. 

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पुलिस उपायुक्त (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ​​ने बताया कि पिछले साल 17 अक्टूबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बच्चा चोरी का एक केस दर्ज होने के बाद जांच शुरू की गई थी. एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके ढाई साल के बेटे का उस समय अपहरण कर लिया गया, जब वो स्टेशन के मुख्य हॉल में सो रही थी. जांच के दौरान सीसीटीवी में एक महिला बच्चे को ऑटो-रिक्शा में ले जाती हुई दिखाई दी.

इसके बाद पुलिस अलग-अलग टीमों ने ऑटो-रिक्शा चालक का पता लगाया. उसने पूछताछ के दौरान पुष्टि की कि उसने संदिग्ध को बदरपुर-फरीदाबाद टोल गेट के पास छोड़ा था. इस केस की जांच करते समय पुलिस को यह भी पता चला कि 31 जुलाई को रेलवे स्टेशन पर टिकट काउंटर हॉल से एक अन्य महिला के तीन वर्षीय बेटे का अपहरण कर लिया गया था. उस केस की जांच के दौरान भी चोरी एक जैसा पैटर्न दिखा.

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पुलिस को पता चला कि उसी महिला ने बच्चे का अपहरण किया और उसी स्थान पर ऑटो-रिक्शा में भाग गई. 21 जनवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक और अपहरण की सूचना मिली. एक महिला के चार महीने के नवजात को फूड कोर्ट वेटिंग हॉल से अपहरण कर लिया. जांच के तहत तीन समान मामलों के साथ पुलिस ने एक टीम बनाई. पुलिस ने एक बड़े पैमाने पर बचाव अभियान शुरू कर दिया.

पुलिस ने 700 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच की और फोन ट्रैकिंग डेटा के साथ संदिग्ध की गतिविधियों को मैप किया. इस मामले में सफलता तब मिली जब संदिग्ध को रेलवे स्टेशन के मेन गेट से ऑटो-रिक्शा में चढ़ते देखा गया. गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर को ट्रैक किया गया और बदरपुर में जांच की गई. पुलिस टीम ने छापेमारी के बाद संदिग्ध को फरीदाबाद में खोज निकाला. चार लोगों को हिरासत में लिया. 

डीसीपी ने कहा कि पुलिस टीम ने रेलवे स्टेशन से बच्चों का अपहरण करने वाली एक महिला और उसके पति को पकड़ा. महिला का पति सूरज तस्करों और खरीदारों के बीच काम करता था. एक अन्य महिला, जो एक वकील के लिए क्लर्क थी, तस्करी को वैध दिखाने के लिए जाली गोद लेने के दस्तावेज तैयार करती थी. पुलिस ने बाद में एक फर्जी डॉक्टर को भी गिरफ्तार किया, जो 10वीं पास है और गिरोह में काम करता है.

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इस गिरोह के हर सदस्य बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे थे. पुलिस ने उनकी कार्यप्रणाली साझा करते हुए कहा कि तस्कर रेलवे स्टेशनों जैसे भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों से बच्चों को निशाना बनाते थे. मुख्य संदिग्ध ने चुपके से बच्चों का अपहरण किया और संदेह से बचने के लिए पहले से ही योजनाबद्ध तरीके से भागने के रास्ते का इस्तेमाल किया. इसके बाद में एक अन्य महिला ने उनके फर्जी कागज बनाए.

वो दत्तक माता-पिता को गुमराह करने का काम करती थी. सूरज वित्तीय लेन-देन का प्रबंधन करता था. वो अपहरणकर्ताओं और खरीदारों के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करता था. गिरोह ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोड भाषा का इस्तेमाल किया. वो लोग अक्सर अपना फोन नंबर बदल लेते थे. खुद को डॉक्टर बताने वाली एक महिला ने तस्करी किए गए बच्चों को गलत तरीके से परित्यक्त या नाजायज बताया. 

उस महिला ने अस्पताल में अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके तस्करी किए गए बच्चों को गोद लेने की इच्छा रखने वाले लोगों से मिलवाया. इसके बाद में बच्चों को निःसंतान दंपतियों को बेच दिया गया, जिन्हें लगा कि वे कानूनी रूप से बच्चे गोद ले रहे हैं. लेन-देन को वैध दिखाने के लिए फर्जी गोद लेने के कागजात, मेडिकल रिकॉर्ड और हलफनामे बनाए गए. पुलिस ने दो अपहृत बच्चों को बरामद किया है.

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