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'मेरा घर तोड़ा तो नहीं' एक फोन कॉल और 2 साल बाद अलीगढ़ से हत्थे चढ़ा कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या आरोपी

कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या और दिल्ली दंगों के आरोपी वसीम को पुलिस ने यूपी के अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया. वह पिछले 2 साल से फरार था. उसने एक महीने पहले ही अपने पड़ोसी को फोन करके पूछा था कि उसका घर तोड़ा तो नहीं गया. बस इसी कॉल के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या फरवरी 2020 में हुई थी. हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या फरवरी 2020 में हुई थी.
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST

दिल्ली में फरवरी 2020 में दंगे हुए थे. दंगों के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की भी हत्या हो गई थी, इस दौरान 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे. पुलिस ने हाल ही में यूपी के अलीगढ़ से रतन लाल की हत्या और दिल्ली दंगो में शामिल एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. वह दो साल से फरार था. लेकिन उसकी एक गलती के चलते दिल्ली पुलिस उसे पकड़ने में सफल हुई. आरोपी ने हाल ही में अपने पड़ोसी को फोन कर पूछा था कि पुलिस ने कहीं उसका घर तो नहीं तोड़ दिया. 

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पुलिस के मुताबिक, वसीम ने 1 महीने पहले अपने पड़ोसी को फोन करके पूछा था, ''मैं बस यह जानना चाहता हूं कि मेरा घर ठीक है. क्या पुलिस ने इसे गिरा दिया या किसी ने इसपर कब्जा तो नहीं कर लिया.'' पुलिस ने आरोपी मोहम्मद वसीम को गिरफ्तार किया है. वह पिछले दो साल से यूपी के अलग अलग हिस्सों में नाम बदलकर रह रहा था. इसके बाद वह अलीगढ़ आकर रहने लगा. यहां वह एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगा. वसीम दो बच्चों का पिता है, यहां तक कि उसने दंगों के बाद से अपने परिवार को भी संपर्क नहीं किया. उसका परिवार भी दिल्ली के दयालपुर क्षेत्र में अपना घर छोड़कर भाग गया. 

क्रूड बम बनाने और रतन लाल की हत्या का आरोप

पुलिस के मुताबिक, वसीम पर साजिश रचने, क्रूड बम बनाने और दंगों के दौरान पुलिस पर हमले करने का आरोप है. पुलिस ने रतनलाल की हत्या और दंगों की साजिश के आरोप में 22 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन वसीम और उसके चार सहयोगी फरार हो गए थे. उसने फरार होने के बाद अपना फोन भी तोड़ दिया था. पुलिस के मुताबिक, वसीम और उसके साथियों ने घर की छत पर क्रूड बम रखे थे. इतना ही नहीं वह रतनलाल और पुलिसकर्मियों पर हमले में भी शामिल था. 

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फरवरी 2020 में हुए थे दंगे

फरवरी 2020 में नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली में दंगे हुए थे. इस दौरान कुल 53 लोगों की मौत हुई थी. इसमें आईबी अफसर अंकित शर्मा और रतन लाल भी शामिल थे. 5 दिन चले दंगों में करीब 500 लोग जख्मी हुए थे. पुलिस ने कुल 758 केस दर्ज किए थे. वहीं, 2500 लोगों को गिरफ्तार किया था. 

पुलिस के मुताबिक, ये दंगे अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के वक्त हुआ था. उस वक्त डीसीपी शहादरा अमित शर्मा और एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार चांद बाग एरिया में तैनात थे. 

प्रदर्शनकारियों ने किया पुलिस पर हमला

इसी दौरान प्रदर्शनकारी लाठियां, तात्कालिक हथियार, लोहे की छड़ें, तलवारें, पत्थर, पेट्रोल बम आदि लेकर आ रहे थे. पुलिस अफसरों ने उन्हें लौटने की सलाह दी. लेकिन वे पुलिस का आदेश न मानते हुए हिंसक हो गए. इस दौरान 50 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हो गए. 

प्रदर्शनकारियों ने डीसीपी अमित शर्मा पर हमला कर दिया. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया. लेकिन वे भी जख्मी हो गए. रतन लाल भी डीसीपी शर्मा को बचाने के लिए भीड़ से भिड़ गए. डीसीपी शर्मा को प्रदर्शनकारियों ने घेर रखा था. इस दौरान रतन लाल पर चाकू से भी हमला कर दिया गया था. इसके बाद उनकी मौत हो गई. पुलिस ने सीसीटीवी के आधार पर आरोपियों की पहचान की थी. 
 

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