Advertisement

दिल्ली दंगा: हत्या की कोशिश के आरोप में नहीं मिली HC से राहत, खालिद सैफी की याचिका खारिज

खालिद सैफी ने अदालत में दलील दी थी कि एक बार जब वर्तमान मामले में उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत अपराध हटा दिए गए, और न तो कोई हथियार बरामद हुआ और न ही कथित गोली चलाने का आरोप उन पर लगाया गया, तो आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप तय नहीं किए जा सकते.

खालिद सैफी को आईपीसी की धारा 307 के तहत नामजद किया गया था (फाइल फोटो) खालिद सैफी को आईपीसी की धारा 307 के तहत नामजद किया गया था (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' के संस्थापक खालिद सैफी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने फरवरी 2020 में शहर के कुछ हिस्सों में भड़के सांप्रदायिक दंगों से संबंधित एक मामले में उनके खिलाफ हत्या के प्रयास का आरोप लगाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी.

दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'याचिका खारिज की जाती है.' दरअसल, 24 फरवरी 2020 को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं थी, उस वक्त नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा नियंत्रण से बाहर हो गई थी, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 700 लोग घायल हुए थे.

Advertisement

खालिद सैफी ने अदालत में दलील दी थी कि एक बार जब वर्तमान मामले में उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत अपराध हटा दिए गए, और न तो कोई हथियार बरामद हुआ और न ही कथित गोली चलाने का आरोप उन पर लगाया गया, तो आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप तय नहीं किए जा सकते.

जगत पुरी थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 26 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खुरेजी खास इलाके में मस्जिदवाली गली में भीड़ जमा हो गई थी. भीड़ ने पुलिस के तितर-बितर होने के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया था. आरोप है कि भीड़ ने पत्थर फेंके थे और पुलिसकर्मियों पर हमला किया था, साथ ही किसी ने हेड कांस्टेबल योगराज पर गोली भी चलाई थी.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, खालिद सैफी और पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने अवैध सभा को उकसाया था. इसी साल जनवरी में ट्रायल कोर्ट ने खालिद सैफी, इशरत जहां और 11 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगा और गैरकानूनी सभा से संबंधित आरोप तय करने का आदेश दिया था. 

Advertisement

इस मामले में अप्रैल माह के दौरान औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए थे. हालांकि, सभी 13 को आपराधिक साजिश, उकसाने और आम इरादे और शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया गया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement