
Pune Porsche Accident: पुणे में पोर्श कार हादसे में आरोपी नाबालिग लड़के के रियल एस्टेट डेवलपर पिता विशाल अग्रवाल को औरंगाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी से पहले विशाल ने पुलिस को चकमा देने की पूरी कोशिश की थी. इसकी योजना उन्होंने अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद ही बना ली थी. लेकिन पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, जीपीएस और उनके रिश्तेदारों से मिली इनपुट के आधार पर धर दबोचा.
विशाल अग्रवाल अपने खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद पुणे से फरार हो गए थे. पुलिस को चकमा देने के लिए उनके घर से तीन कारें निकली. एक कार को वो खुद ड्राइव कर रहे थे, बची दो कारों को उनके ड्राइवर चला रहे थे. वो अपनी कार से मुंबई के लिए निकले, जबकि एक ड्राइवर गोवा, तो दूसरा कोल्हापुर की ओर निकल गया. इसके बाद उन्होंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. दूसरे नंबर से परिवार के संपर्क में आ गए.
उन्होंने रास्ते में अपनी कार भी बदल ली. अपने एक दोस्त की कार लेकर छत्रपति संभाजीनगर की ओर निकल गए. इस दौरान दौंड में अपने फार्म हाउस भी गए. बीच-बीच में अपने परिजनों को अपनी लोकेशन बताते रहे. सोमवार की रात वो अपने ड्राइवर के साथ संभाजीनगर के एक लॉज में रुके. इधर क्राइम ब्रांच उनके पीछे लगी रही. जीपीएस के जरिए उनके लोकेशन को ट्रेस किया गया. सीसीटीवी में उनकी फुटेज मिली, जिससे उनकी पहचान हो गई.
सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात उनको छत्रपति संभाजीनगर के उस लॉज से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां वो ठहरे हुए थे. उन्हें पुणे की जिला अदालत में पेश किया जाएगा. इससे पहले सोमवार को पुलिस ने हाईकोर्ट से नाबालिग आरोपी पर वयस्क अभियुक्त के रूप में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी. निचली अदालत ने पुलिस की अपील को खारिज कर दिया था. पुलिस का कहना है कि इस घटना की जांच के लिए कई टीमें बनाई गई हैं.
स्पोर्ट्स कार पोर्श से नाबालिग ने दो इंजीनियरों को रौंदा
बताते चलें कि हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की सुबह की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई. कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था.
पुलिस ने कोर्ट से की मांग, वयस्क की तरह चले केस
इस मामले में पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए. इसके लिए पुलिस ने ऊपरी अदालत से अनुमति मांगी है. पुलिस कमिश्नर का यह बयान आरोपी नाबालिग को जमानत दिए जाने पर नाराजगी के बीच आया. उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और गृह मंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस मामले में पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इस मामले में पुलिस पर किसी दबाव के बारे में पूछे जाने पर पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि पुलिस शुरू से ही कानून के मुताबिक काम कर रही है. पुलिस पर किसी का कोई दबाव नहीं है. उन्होंने कहा, "हम पुलिस द्वारा उठाए गए हर कानूनी कदम पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. हमने यथासंभव कड़ी कार्रवाई की है.''
मृतकों के परिजनों की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूटा
इस हादसे में जान गवां चुके दो इंजीनियरों के परिवार बिखर चुके हैं. किसी की इकलौती बेटी चली गई तो किसी का बेटा. पुलिस की कार्रवाई और फिर कोर्ट से आरोपी को मिली शर्त के बाद पीड़ित परिवार गम में भी हैं और गुस्सा में भी. जबलपुर में शक्तिनगर से सटे साकार हिल्स में युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अश्विनी कोस्टा के घर मातम पसरा है. अश्विनी का शव जबलपुर पहुंचा तो रिश्तेदारों की आंखों से आंसुओं का सैलाब फूट पड़ा. लोग मातम में हैं.
मृतक युवती अश्वनी कोस्टा के पिता सुरेश कोस्टा ने कहा कि बेटी ने पढ़ाई वहीं (पुणे) की थी और जॉब भी वहीं लग गई. वो वहां दिसंबर में गई थी. अब हमारे सारे सपने चूर हो चुके हैं. अश्वनी के भाई संप्रीत ने कहा कि उनकी बहन ने पढ़ाई पुणे से ही की थी और 4 महीने पहले ही जॉब के सिलसिले में वहां वापस शिफ्ट हुई थी. वह पढ़ाई में बहुत अच्छी थी. वो अपने पिताजी से रोज बात करती थी. उसने बताया था कि वो पार्टी के लिए बाहर जा रही है.
इसी घटना में जान गंवाने वाले युवक अनीष के चाचा ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. अनीष के पिता अखिलेश अवधिया ने कहा कि यह केस वास्तव में 304ए का है. पुलिस ने गलत विवेचना की है. बेल की जो कंडीशन है, ये हास्यास्पद है. नए एक्ट के मुताबिक 7 साल की सजा है. उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में पुलिस बिक चुकी है. उस लड़के ने दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की हत्या की है, लेकिन उसे जुवेनाइल बोलकर छोड़ दिया गया.
उन्होंने कहा कि आरोपी 3 करोड़ की कार चलाता है. यदि कोई आम आदमी होता तो फंस जाता. बिजनेस टाइकून का बेटा है, इसलिए छूट गया. उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी ने पहले भी एक्सीडेंट किया है, लेकिन तब भी छूट गया था, इस बार भी छूट गया है. यह तो मानव बम है. यदि इस तरह छोड़ दिया जाता रहा, तो वो कल किसी को भी मारेगा. उसके पिता ने उसे कैसे गाड़ी दे दी? उसके माता-पिता को कोर्ट में ले जाना चाहिए. उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए.