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ओडिशा: गैंगरेप का आरोप निकला झूठा, कोर्ट में कई बार बदले बयान-अब खुद ही फंसी महिला

सुनवाई के दौरान महिला ने कोर्ट को बताया कि उसके साथ गैंगरेप नहीं किया गया है. कोर्ट रूम में महिला के ताजा बयान और पूरे मामले की जांच करने पर फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के जज ने चारों आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने आईपीसी की धारा 193 के तहत महिला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 193 के तहत महिला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.
मोहम्मद सूफ़ियान
  • भुवनेश्वर,
  • 26 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST
  • मई 2020 में महिला ने गैंगरेप का आरोप लगाया था
  • सुनवाई के दौरान पीड़िता ने कोर्ट में कहा- मेरा रेप नहीं हुआ

ओडिशा में गैंगरेप के आरोप को फर्जी पाने के बाद कोर्ट ने सभी चार आरोपियों को छोड़ दिया गया. स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है. घटना मई 2020 की है. तब महिला की शिकायत पर फूलबनी जिले के सदर थाने में मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने पाया गया कि महिला ने कई बार अपने बयान में बदलाव किया था. प्राथमिकी दर्ज करने के दौरान और धारा 164 के दौरान जो बयान दर्ज कराया था, उसमें विरोधाभास था. 

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सुनवाई के दौरान महिला ने कोर्ट को बताया कि उसके साथ गैंगरेप नहीं किया गया है. कोर्ट रूम में महिला के ताजा बयान और पूरे मामले की जांच करने पर फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के जज ने चारों आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का निर्देश दिया. साथ ही झूठी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 193 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया. इसके अलावा पीड़िता के लिए वित्तीय सहायता के रूप में मिलने वाली रकम को भी देने से रोक दिया.  

बचाव पक्ष के वकील बिजय पटनायक ने आजतक को बताया कि मई 2020 में हुई घटना के बाद सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने और मेडिकल के बाद फूलबनी पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महसूस किया कि महिला ने गैंगरेप का झूठा आरोप लगाया था. उधर, महिला के वकील बिजय मोहंती ने बताया कि महिला ने खुद शिकायत नहीं लिखी थी. उसने केवल उस पर हस्ताक्षर किए थे. मजिस्ट्रेट के सामने वह अपने पहले के बयान को याद नहीं कर पा रही थी. इसी आधार पर कोर्ट को उसके बयान में विरोधाभास लगा जिसके बाद चारों आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया.  

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