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हबीबुल युवाओं को दे रहा था lone wolf attack की ट्रेनिंग, ऐसे बना आतंक का मास्टर ट्रेनर

14 अगस्त को कानपुर से गिरफ्तार 19 साल के हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्लाह के बारे में सामने आया है कि वह जैश-ए-मोहम्मद का बेहद खतरनाक मास्टर ट्रेनर बन चुका था. सैफुल्लाह अपने साथी नदीम के जरिए बिहार और झारखंड में भी अपना नेटवर्क फैला रहा था. मदरसे में पढ़ने वाले दूसरे बच्चों को lone wolf attack के लिए तैयार कर रहा था. फिलहाल ATS ने नदीम और सैफुल्लाह के मोबाइल को FSL लैब भेज दिया है.

आतंकी हबीबुल उर्फ सैफुल्लाह. आतंकी हबीबुल उर्फ सैफुल्लाह.
संतोष शर्मा
  • कानपुर,
  • 21 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST

उत्तर प्रदेश एटीएस (UP ATS) ने 14 अगस्त को कानपुर से जिस 19 साल के हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्लाह को गिरफ्तार किया उसके बारे में नई जानकारियां सामने आई हैं. पता चला है कि सैफुल्लाह जैश-ए-मोहम्मद का बेहद खतरनाक मास्टर ट्रेनर बन चुका था. उसने अपने नेटवर्क को यूपी के साथ-साथ बिहार और झारखंड में भी फैलाना शुरू कर दिया था.

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अब तक की जांच और मोबाइल डाटा से यूपी एटीएस को सैफुल्लाह के खतरनाक इरादों का इशारा भर मिला है. अभी सैफुल्लाह और नदीम के मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट और पूरा डाटा डाटा मिलना बाकी है.

ISIS की तर्ज पर lone wolf attack की तैयारी कर रहा हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्लाह जैश-ए-मोहम्मद का मास्टर ट्रेनर बन चुका था. 19 साल का हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला भले ही बचपन से धर्म और दीन की पढ़ाई कर रहा हो, लेकिन मदरसे में पढ़ाई के दौरान ही मोबाइल से उसने आतंक का ऐसा ककहरा पढ़ना शुरू किया कि वह आतंक की दुनिया का मास्टर ट्रेनर बनने लगा.

बिहार और झारखंड में फैला रहा था नेटवर्क

फतेहपुर का सैफुल्लाह साथी नदीम के जरिए बिहार और झारखंड में भी अपना नेटवर्क फैला रहा था और मदरसे में पढ़ने वाले दूसरे बच्चों को lone wolf attack के लिए तैयार कर रहा था.

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जानकारी के अनुसार, पूछताछ के दौरान सैफुल्लाह उम्र से ज्यादा दिमागी रूप से मजबूत नजर आ रहा है. उससे पूछताछ करने में अफसरों के भी पसीने छूट रहे है. वह किसी भी सवाल का जवाब हां या ना में दे रहा है और अगर उसके मोबाइल से मिली जानकारी पर सवाल किया जाता है तो उसके जवाब में वह सिर्फ अपने को सही बताने की कोशिश करता है. वह कहता है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया.

गूगल की मदद से सीखी अंग्रेजी भाषा

बचपन से ही मदरसे में पढ़ने वाले सैफुल्लाह ने इंटरनेट की दुनिया को समझने के लिए गूगल के जरिए ही अंग्रेजी भी सीख ली थी. पाकिस्तान, अफगानिस्तान में बैठे उसके हैंडलर अगर कोई मैसेज या पीडीएफ फाइल दूसरी भाषा में भेजते तो वह google translation के जरिए उसे उर्दू में ट्रांसलेट करता और फिर समझ लेता कि क्या मैसेज आया है.

ज्यादा समय मोबाइल पर बिताता

शुरुआती पूछताछ में साफ हुआ है कि हबीबुल इस्लाम उर्फ सैफुल्ला का सबसे ज्यादा वक्त मोबाइल पर गुजरता था. मोबाइल में भी वह या तो वीडियो देखता या फिर नेटवर्क में आए लोगों से चैट करता था.

पिता को नहीं पता था नए नाम के बारे में

आतंक की दुनिया में हबीब-उल-इस्लाम ने अपना नया नाम सैफुल्लाह रखा था. फतेहपुर के मदरसे में मौलवी हबीबुल इस्लाम के पिता जफरुल इस्लाम ने आजतक से बातचीत में खुद माना कि उनको तो पता ही नहीं था कि उनके बेटे का नाम सैफुल्लाह है. बचपन से आज तक वह उसे हबीबुल इस्लाम के नाम से ही जानते थे. पूछताछ के दौरान एटीएस के अफसरों ने जब नाम बदलने पर सवाल किया तो उसने साफ कहा कि सैफुल्लाह पाकिस्तानी की वजह से उसने अपना नाम सैफुल्लाह रखा था.
 
सैफुल्लाह को आका मानता है नदीम

यूपी एटीएस ने सहारनपुर से जिस नदीम को गिरफ्तार किया है उस नदीम को IED बनाने और Fidae Force का मटेरियल भले ही सैफुल्लाह पाकिस्तानी ने भेजा था लेकिन नदीम को ब्रेनवाश कर तैयार करने वाला यही 19 साल का सैफुल्लाह था. सैफुल्लाह के कहने पर ही नदीम को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान बुलाया जा रहा था. पुलिस कस्टडी रिमांड पर चल रहे नदीम और सैफुल्लाह को कई बार आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की गई. अब तक की पूछताछ में साफ हुआ है कि 25 साल का नदीम 19 साल के सैफुल्लाह को आका मानता है.

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नदीम-सैफुल्लाह के मोबाइल को भेजा FSL लैब

फिलहाल ATS ने नदीम और सैफुल्लाह के मोबाइल को FSL लैब भेज दिया है. 15 अगस्त और जन्माष्टमी की छुट्टियों के चलते एटीएस को नदीम और सैफुल्लाह के मोबाइल का डाटा और FSL रिपोर्ट नहीं मिल पाई है. माना जा रहा है कि सोमवार से सुचारू काम शुरू होने पर एफएसएल को कुछ और रिपोर्ट मिलेंगी, जिसके बाद जैश और तहरीक-ए-पाकिस्तान की प्लानिंग और यूपी बिहार व झारखंड में नदीम और सैफुल्लाह के खतरनाक इरादों की भी अहम जानकारियां सामने आएंगी.

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