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हाथरस कांडः यूपी सरकार क्यों कराना चाहती है पीड़ित परिवार का नार्को एनालिसिस टेस्ट?

पीड़िता ने घटना के बाद अलग-अलग बयान दिए थे. SIT को शक है कि घटना की शुरुआत से ही कोई पीड़िता या पीड़ित परिवार पर गैंगरेप वाला बयान देने को उकसा रहा था. नार्को टेस्ट के ज़रिए ये जानने की कोशिश की जाएगी आखिर शुरू से लेकर अंत तक पूरी घटना का सिलसिलेवार सच क्या है.

Hathras Case: पीड़ित परिवार Hathras Case: पीड़ित परिवार
तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST
  • पीड़ित परिवार ने किया नार्को टेस्ट का विरोध
  • पुलिस ने कहा- रेप पीड़िता ने बदले थे बयान

उत्तर प्रदेश के चर्चित हाथरस गैंगरेप केस में राज्य सरकार ने आरोपियों के साथ पीड़ित परिवार का भी नार्को टेस्ट करवाने की बात कही है. वहीं, पीड़िता की भाभी ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उनका परिवार नार्को टेस्ट नहीं कराएगा क्योंकि वह झूठ नहीं बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि डीएम और एसपी का नार्को टेस्ट करवाना चाहिए. 

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दरअसल, हाथरस मामले की एसआईटी जांच कर रही है. यूपी सरकार ने केस की जांच कर रही एसआईटी की पहली रिपोर्ट मिलने के बाद योगी सरकार ने आरोपियों, पीड़ित परिवार के सदस्यों और पुलिस जांच टीम के सभी कर्मियों का नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया है.

बताया जा रहा है कि हाथरस गैंगरेप पीड़िता ने उपचार के दौरान विवेचक के सामने कई बार अपने बयान बदले थे. इसका इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की रिपोर्ट में उल्लेख भी किया गया है. पीड़िता के अलग-अलग तिथियों में लिए गए बयान में विभिन्न बातें सामने आई हैं, इतना ही नहीं, एएमयू की मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हो पाई है.

नार्को एनालिसिस से क्या सच आएगा सामने?
पुलिस अफसरों का कहना है कि उपचार के दौरान युवती के तीन बार बयान दर्ज हुए. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, पहली बार में युवती ने रेप से जुड़ा कोई बयान नहीं दिया था. उसके बाद 19 सितंबर को दर्ज हुए बयान में कहा कि मेरे साथ छेड़छाड़ हुई है.

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इसी बयान के आधार पर पुलिस ने धारा बदलकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी थी. उसके बाद 22 सितंबर को दर्ज हुए बयान में पीड़िता ने कहा था कि उसके साथ रेप हुआ है. नए बयान के आधार पर पुलिस ने आगे की कार्रवाई शुरू कर आरोपियों को गिरफ्तार किया था. मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करें तो उसमें युवती के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है.

घटना के अनुसार, 14 सितंबर की सुबह गांव चंदपा की युवती अपनी मां के साथ खेत पर गई थी. वह खेत में घास काट रही थी. इसी बीच एक युवक वहां आ धमका और छेड़छाड़ करने लगा. युवती ने विरोध किया तो हमला बोल दिया. युवती के चिल्लाने पर उसकी मां आरोपी की तरफ दौड़ पड़ी. इतने में आरोपी मौका पाकर फरार हो गया था. घायल युवती को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया.

युवती के भाई ने करीब 10:30 बजे थाने पहुंचकर बताया कि उसकी बहन को गला दबाकर मारने का प्रयास किया गया. इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई. युवती की गंभीर हालत को देखते हुए उसको एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. जहां चिकित्सकों ने देखा कि युवती की कमर की एक हड्डी टूटी हुई है. इतना ही नहीं, दोनों पैर भी सही से काम नहीं कर रहे थे.

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क्या नार्को टेस्ट से होगी रेप केस की पुष्टि?
हाथरस निवासी युवती की मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है. मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान युवती के तीन बार बयान हुए. युवती ने पहले मारपीट, फिर छेड़छाड़ व उसके बाद रेप की बात कही थी. यही वजह है कि योगी सरकार ने पुलिसकर्मियों के साथ परिवार के लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट करवाने की बात की है. दरअसल, AMU की मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है. इसके साथ ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी ये साफ नहीं हो सका कि पीड़िता से गैंगरेप किया गया था. 

SIT को पीड़िता के बयान पर शक
पीड़िता ने घटना के बाद अलग-अलग बयान दिए थे. SIT को शक है कि घटना की शुरुआत से ही कोई पीड़िता या पीड़ित परिवार पर गैंगरेप वाला बयान देने को उकसा रहा था. उत्तर प्रदेश पुलिस पॉलीग्राफ टेस्ट के ज़रिए ये जानना चाहती है कि आखिर शुरू से लेकर आखिर तक पूरी घटना का सिलसिलेवार सच क्या है.

क्या है नार्को एनालिसिस टेस्ट?
नार्को एनालिसिस टेस्ट में व्यक्ति के शरीर में एक केमिकल इंजेक्शन के द्वारा डाला जाता है. व्यक्ति के शरीर की नसों में जाते ही यह केमिकल अपनी प्रतिक्रिया दिखाने लगता है. जिसका परिणाम व्यक्ति गहरी नींद में जाने लगता है, जिसको नीमबेहोशी की हालत भी कहा जा सकता है. इस हालत में व्यक्ति को न तो पूरी बेहोशी ही आती है और न ही वह पूरे होश में रहता है. इस दौरान साइंटिस्ट और डॉक्टर जांच एजेंसी द्वारा दिए गए सवाल पूछते हैं और व्यक्ति से सच जानने की कोशिश करते हैं.

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