
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सरकारी टीचर की हत्या के आरोप में मंगलवार को एक हेड कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी ने नशे में धुत्त होकर टीचर को गोली मारी थी, क्योंकि उसने उसे तंबाकू नहीं दिया था. रविवार रात सिविल लाइंस इलाके में हुई इस घटना के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और विपक्षी नेताओं ने इसकी आलोचना की थी. इसके बाद हरकत में स्थानीय पुलिस ने आरोपी कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया.
जिला मजिस्ट्रेट अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने मृतक धर्मेंद्र कुमार के परिवार के लिए 25 लाख रुपए की अनुग्रह राशि की घोषणा की है. मृतक वाराणसी से शिक्षा विभाग की उस टीम का हिस्सा थे जो यूपी बोर्ड परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं एसडी इंटर कॉलेज में लेकर आई थी. इसमें टीम में एक अन्य शिक्षक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल थे. उनके साथ वाराणसी से एक पुलिस टीम भी आई थी.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने कहा कि सभी लोग एक वाहन में कॉलेज का गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे. आरोपी हेड कांस्टेबल चंद्र प्रकाश शराब के नशे में था और दूसरों से तंबाकू मांग रहा था. शिक्षकों और कर्मचारियों की टीम को सोने भी नहीं दे रहा था. सभी को परेशान कर रहा था. इसकी वजह से धर्मेंद्र कुमार ने अपनी नाराजगी जताई तो दोनों के बीच बहस होने लगी. गुस्से में आकर कांस्टेबल ने सर्विस कार्बाइन से गोली मार दी.
पुलिस के मुताबिक, इस घटना के बाद पीड़ित धर्मेंद्र कुमार को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. हत्या में इस्तेमाल सर्विस कार्बाइन जब्त कर लिया गया है. एसएसपी ने बताया कि मृतक के परिवार के सदस्यों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सोमवार को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है.
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "भाजपाई शासन का अहंकार धीरे-धीरे प्रशासन पर भी आने लगा है. पहले भी एक सिपाही ने लोगों की हत्या की थी. झूठे एनकाउंटर करवाने वाली भाजपाई सरकार ने पुलिस व्यवस्था तक में कुछ लोगों को हिंसक बना दिया है. मृतक शिक्षक के परिजनों को 5 करोड़ का मुआवज़ा दिया जाए और आरोपी पुलिसवाले को उसके किए की सज़ा. प्रदेश में कोई शिक्षा मंत्री हों तो वो भी जागें."