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गाजा के सबसे सुरक्षित इलाके में ग्राउंड ऑपरेशन की तैयारी में इजरायल, खतरे में लाखों फिलिस्तीनी

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा के रफाह में जमीनी सैन्य अभियान की शुरूआत की तारीख तय कर दी हैं. हालांकि प्रधानमंत्री ने डेट नहीं बताया है. रफाह में 13 लाख से ज्यादा विस्थापित फिलिस्तीनियों ने शरण ले रखी है, ऐसे में इजरायल सैन्य अभियान चलाता है तो भारी तबाही तय है.

इजरायली प्रधानमंत्री ने गाजा के रफाह में जमीनी सैन्य अभियान की शुरूआत की तारीख तय कर दी हैं. इजरायली प्रधानमंत्री ने गाजा के रफाह में जमीनी सैन्य अभियान की शुरूआत की तारीख तय कर दी हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

गाजा पट्टी के रफाह में हजारों अस्थाई टेंटों में लाखों फिलिस्तीनियों ने शरण ले रखी है. ये वो लोग हैं जो इजरायली बमबारी से बचने के लिए पिछले कई महीने से यहां रह रहे हैं. मिस्र और गाजा के सीमा पर मौजूद रफाह ही एक ऐसा एकलौता इलाका है, जहां पर अभी तक इजरायली सैनिक नहीं पहुंचे हैं.

ऐसे में यहां रह रहे लोग अबतक सुरक्षित हैं. हालांकि इजरायल इस इलाके में हवाई हमले करता रहा है, लेकिन अब आईडीएफ ने रफाह में सैन्य अभियान चलाने की बात कही है. सोमवार को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि वो रफाह में इजरायली सैनिकों को भेजने की तारीख भी तय कर दिए हैं. 

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हालांकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने डेट नहीं बताया है. उन्होंने रफाह में ऐसे समय में सैन्य अभियान चलाने की बात की जब मिस्र में संघर्ष विराम के लिए बातचीत चल रही है. नेतन्याहू ने कहा, ''मुझे काहिरा में हुई वार्ता पर एक विस्तृत रिपोर्ट मिली है. हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. सबसे पहले हमारे सभी बंधकों की रिहाई और हमास पर पूर्ण जीत हासिल करना. इस जीत के लिए रफाह में आतंकवादियों का खात्मा आवश्यक है.''

इजरायली प्रधानमंत्री का दावा है कि रफाह में सैकड़ों हमास के लड़ाके छिपे हुए हैं, जिनका सफाया जरूरी है. वहीं अमेरिका ने इजरायली प्रधानमंत्री के रफाह में जमीनी सैन्य अभियान चलाने का विरोध किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका रफाह में सैन्य अभियान का समर्थन नहीं करेगा. 

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इससे पहले अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन भी रफाह में सैन्य अभियान का विरोध करने की बात कह चुके हैं. राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा था कि वो और 30 हजार फिलिस्तीनियों को मरते हुए नहीं देख सकते. हालांकि, उनकी चेतावनी का इजरायल में कोई असर नहीं दिख रहा है. 

यह भी पढ़ें: खंडहर शहर, जमींदोज इमारतें, लाशों का ढेर... इजरायली कहर के बीच दिखा गाजा की तबाही का खौफनाक मंजर

बताते चलें कि पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना की थी. एक टीवी इंटरव्यू में बाइडेन ने कहा था कि जिस तरह से गाजा में आम लोगों की जान जा रही है, वो इजरायल के लिए अच्छा नहीं है. गाजा में जंग के लिए बेंजामिन नेतन्याहू का नजरिया इजरायल की मदद करने से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. हमास के खात्मे का भी अधिकार है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि एक रेड लाइन होनी चाहिए. ऐसे ही 30 हजार लोगों की जान नहीं ली जा सकती. गाजा के रफाह में करीब 13 लाख फिलिस्तीनियों ने शरण ली है, इजरायल के लिए इस क्षेत्र पर हमला रेड लाइन है. इसके जवाब में नेतन्याहू ने कहा था कि हम जरूरत पड़ने पर कोई भी लाइन क्रॉस कर सकते हैं. हमारे लिए हमारे देश के लोग ज्यादा अहम हैं. हमास जब तक बंधकों को पूरी तरह आजाद नहीं कर देता, जंग नहीं रुकेगी.

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इजरायली सेना गाजा पट्टी में चुन-चुनकर हमास के ठिकानों को तबाह कर रही है. इसकी वजह से गाजा के कई इलाके भूख से बेहाल हैं. गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गाजा में भोजन और पानी न मिलने से बड़ी संख्या में बुजुर्गों और बच्चों की मौत हो चुकी है. लोगों बेहाल हैं. गाजा में सबसे सुरक्षित माने जाने वाला इलाका रफाह भी भुखमरी की कगार पर है. यहां भी लोग खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. किसी को सिर्फ रोटी नसीब हो रही है तो किसी को दाल. 

लोगों की सबसे बड़ी चिंता ये है कि अगर ये युद्ध जारी रहा तो वो भूखे मर जाएंगे. भूख के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है. 7 अक्टूबर से चल रही इस जंग में अब तक 33 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो गई है. हजारों की संख्या में लोग घायल हैं. लेकिन जंग के खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. 

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