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हैदरपुरा एनकाउंटर को क्लीन चिट, कठुआ कांड के दोषियों को जमानत, इसी बात से नाराज हैं महबूबा मुफ्ती

हैदरपुरा मुठभेड़ की जांच कर रही एसआईटी ने इस मामले में बयानबाजी करने वाले राज नेताओं को कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी. इसी पर महबूबा मुफ्ती ने ये बयान जारी किया.

महबूबा मुफ्ती ने दोनों मामलों में हुई कार्रवाई पर नाराजगी जताई है महबूबा मुफ्ती ने दोनों मामलों में हुई कार्रवाई पर नाराजगी जताई है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST
  • एसआईटी ने हैदरपुरा मुठभेड़ में पुलिस को दी क्लीन चिट
  • कठुआ कांड में दोषी दो पुलिसकर्मियों को HC ने दी जमानत
  • दोनों मामलों को लेकर महबूबा मुफ्ती ने दिखाए तेवर

जम्मू कश्मीर के हैदरपुरा एनकाउंटर में आरोपी पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट देने और कठुआ कांड के मामले में फंसे दो पुलिसवालों की सजा रद्द कर जमानत दिए जाने पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. साथ ही उन्होंने कहा, " सजा और कार्रवाई की चेतावनी देकर हमें चुप कराने से काम नहीं चलेगा."

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हैदरपुरा मुठभेड़ की जांच कर रही एसआईटी ने इस मामले में बयानबाजी करने वाले राज नेताओं को कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी. इसी पर महबूबा मुफ्ती ने ये बयान जारी किया. दरअसल, हैदरपुरा मुठभेड़ और कठुआ कांड को लेकर की गई कार्रवाई के बाद दोनों ही इलाकों में लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है.

हैदरपुरा एनकाउंटर
इसी साल 15 नवंबर को इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान एक पाकिस्तानी आतंकी समेत चार लोग मारे गए थे. पुलिस का दावा था कि एनकाउंटर में मारे गए चारों लोगों का आतंकी कनेक्शन था. लेकिन उस वक्त पुलिस की फजीहत हो गई, जब मरने वालों में से तीन लोगों के घरवालों ने दावा करते हुए कहा कि वे तीनों बेगुनाह थे. उन्होंने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था. 

जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो इस मामले में एक एसआईटी गठित की गई और जांच के आदेश दिए गए. तभी से इस मामले में एसआईटी जांच कर रही थी. लेकिन कुछ दिन पहले ही एसआईटी ने मुठभेड़ करने वाली पुलिस टीम को क्लीन चिट दे दी. एसआईटी ने कहा कि वहां एक मकान मालिक और एक आतंकी मुठभेड़ में फंस जाने से मारे गए. वहां छिपे पाकिस्तानी आतंकी ने उन्हें ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया था. एसआईटी ने इस मामले में किसी भी तरह की साजिश से इनकार कर दिया.

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कठुआ कांडः 2 आरोपी पुलिसवालों को जमानत
10 जनवरी 2018 को एक मासूम बच्ची को अगवा कर कठुआ के मंदिर में बंधक बनाकर उसके साथ तीन दिन ऐसी दरिंदगी की गई थी कि लोगों ने उसे निर्भया कांड से भी भयंकर करार दिया था. बच्ची के साथ लगातार बलात्कार करने वालों दरिंदों ने 13 जनवरी 2018 को उसकी हत्या कर दी थी. तीन दिनों में उस मासूम के साथ मंदिर में हद दर्ज की हैवानियत को अंजाम दिया गया था. इस मामले का मुख्य आरोपी उस मंदिर का सेवादार सांजी राम था. उसके साथ इस मामले में 7 अन्य लोग भी आरोपी बनाए गए थे. जिनमें 3 पुलिसवाले भी शामिल थे. 2019 में अदालत ने हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज, एसपीओ सुरेंद्र वर्मा और आनंद दत्त को भी सबूत मिटाने के लिए दोषी माना गया था. 

रेप और हत्या के इस मामले में सबूत मिटाने वाले और सबूत खत्म करने के नाम पर पुलिसवालों समेत आरोपियों को 5 साल की सजा सुनाई गई थी. जबकि इस खौफनाक कांड के मुख्य आरोपी रिटायर्ड रेवेन्यू अधिकारी और मंदिर के सेवादार सांजी राम, दीपक खजूरिया और प्रवेश कुमार को उनकी हैवानियत के लिए आजीवन कारावास की सजा गई थी. चार्जशीट के मुताबिक पुलिसवालों ने आरोपियों का साथ दिया था. सबूत मिटाए थे और एक पुलिसवाले ने हत्या करने से पहले भी बच्ची के साथ रेप किया था.

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कठुआ कांड के 2 दोषियों को जमानत दिए जाने पर नाराजगी जताते कहा कि ऐसा लगता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है. 

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