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मिर्जापुर: बैग में तमंचे और पैंट-शर्ट पहनकर बदला लेने अड़गड़ानंद आश्रम पहुंचे थे जीवन बाबा

मिर्ज़ापुर में स्वामी अड़गड़ानंद आश्रम में हुए गोलीकांड में शुरुआती जांच में पुलिस को पता चला है कि जीवन बाबा उर्फ जीत आशीष बाबा से बदला लेने के लिए तमंचा लेकर 6 महीेने बाद आश्रम पहुंचे थे. उन्होंने पहले आशीष बाबा को गोली मारी और फिर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.

आश्रम गोलीकांड में पुलिस ने किया बड़ा खुलासा आश्रम गोलीकांड में पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
सुरेश कुमार सिंह
  • मिर्जापुर,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:06 PM IST

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्वामी अड़गड़ानंद आश्रम में हुए गोलीकांड मामले में शुरुआती जांच में दो शिष्यों के बीच विवाद और दुश्मनी का मामला सामने आ रहा है. आश्रम से 6 महीने पहले निकाले गए जीवन बाबा उर्फ जीत बदला लेने के लिए ही आश्रम पहुंचे थे. हालांकि इस गोलीकांड में उनकी मौत हो गई. 

बताया जा रहा है कि दो शिष्यों की लड़ाई में गोलीबारी हुई है. हालांकि पुलिस दूसरे संभावित एंगल से भी मामले की जांच कर रही है. आश्रम से जुड़े लोगों के मुताबिक आश्रम में लंबे समय से स्वामी अड़गड़ानंद की सेवा करने वाले जीवन बाबा उर्फ जीत को 6 महीने पहले तेल फेंकने के विवाद में आशीष बाबा के साथ कहासुनी हो गई थी, जिसकी शिकायत उन्होंने स्वामी अड़गड़ानंद से कर दी थी.

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इसके बाद जीवन बाबा को आश्रम से जाना पड़ा था, जिसको लेकर वह आशीष बाबा को जिम्मेदार मान रहा था. लंबे समय तक गायब रहने के बाद बुधवार रात को जीवन बाबा वापस आश्रम लौटे, मगर इस बार उनका हुलिया बदला हुआ था.

दाढ़ी कटवा कर और पैंट शर्ट पहन कर जीवन बाबा उर्फ जीत आश्रम पहुंचे थे. उनके पास बैग था, जिसमें दो तमंचे, कारतूस, आधार कार्ड और पैन कार्ड था. बदले हुए हुलिए की वजह से आश्रम के लोग उसे पहचान नहीं पाए थे.

बताया जा रहा की सुबह जैसे ही आशीष बाबा और उनका आमना-सामना हुआ, उनके बीच फिर विवाद शुरू हो गया. इसके बाद जीवन बाबा ने दोनों हाथों से तमंचा निकाल कर फायरिंग कर दी, जिसकी वजह से आशीष बाबा के पैर में गोली लगी और वह घायल हो गए.

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पुलिस के मुताबिक, आश्रम में लगे सीसीटीवी कैमरे में हाथ में तमंचा लिए जीवन बाबा साफ दिखाई दे रहे हैं. इसके कुछ देर बाद उन्होंने खुद को गोली मार ली.

एएसपी (नक्सल) महेश अत्रि का कहना है कि पूछताछ में आश्रम के लोगों ने बताया कि जीवन बाबा झगड़ालू स्वभाव के व्यक्ति थे. आश्रम में आए दिन उनका झगड़ा होता रहता था, जिस वजह से उन्हें आश्रम से निकाल दिया गया था.

 

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