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कानपुर: गैंगरेप केस में कार्रवाई करने के बजाय समझौता कराने पर तुली पुलिस, थाने का घेराव

पीड़ित लड़की का आरोप है कि उसके साथ तीन लोगों ने रेप किया. लेकिन जब वे थाने गए तो पुलिस ने मामले को फर्जी बता दिया. और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय दो लाख रुपये में समझौता कराने में जुट गई.

एसएसपी ने अब इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं एसएसपी ने अब इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं
रंजय सिंह
  • कानपुर,
  • 18 जून 2021,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST
  • नाबालिग के घर में घुसकर गैंगरेप करने का मामला
  • पीड़ितों पर समझौते का दबाव बनाती रही पुलिस
  • एसएसपी ने दिए मामले की जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश सरकार भले ही महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाने का दावा करती हो लेकिन यूपी पुलिस ऐसे मामलों में ढिलाई बरतने में भी पीछे नहीं रहती. ताजा मामला कानपुर देहात का है. जहां एक नाबालिग लड़की से  गैंगरेप के मामले में एफआईआर दर्ज करने के बजाय पुलिस समझौता कराने में जुटी रही. जिससे नाराज़ पीड़िता के परिवार को लोगों के साथ एसएसपी आफिस का घेराव तक करना पड़ा.

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पीड़ित लड़की का आरोप है कि उसके साथ तीन लोगों ने रेप किया. लेकिन जब वे थाने गए तो पुलिस ने मामले को फर्जी बता दिया. और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय दो लाख रुपये में समझौता कराने में जुट गई. जब एसएसपी के सामने ये पूरा मामला पहुंचा, तब इस मामले की जांच के आदेश किए गए हैं. 

घटना कानपुर देहात के शिवली इलाके की है. जहां रहने वाली 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने बताया कि 13 जून को उसके घरवाले किसी की अंतिम क्रिया में गए हुए थे. तब वो घर में अकेली थी. तभी गांव के तीन युवक आकाश, जगत सिंह और सर्वेश उनके घर में घुस आए और उसके साथ गैंग रेप कर डाला. इसी दौरान लड़की की मां घर वापस आ गई तो तीनों आरोपी लड़की को बदहाल छोड़कर फरार हो गए. गैंगरेप से लड़की की हालत ख़राब हो गई थी.

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घरवालों फौरन शिवली पुलिस को सूचना दी. पीड़िता का आरोप है कि शिवली पुलिस ने उन्हें थाने से यह कहकर भगा दिया कि ये फर्ज़ी मामला है और लाख दो लाख लेकर चुपचाप घर चले जाओ. आखिर घरवाले हारकर अपने इलाके के सैंकड़ो लोगों को लेकर एसएसपी आफिस पहुंचे और घेराव कर दिया. तब जाकर इस मामले में एसएसपी ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं. 

एसएसपी केशव चौधरी का कहना है कि इस मामले कुछ प्रधानी रंजिश का विवाद भी सामने आ रहा है. लेकिन पीड़िता खुद रेप का आरोप लगा रही है. लिहाजा इसकी जांच करके एफआईआर के आदेश दिए गए हैं. 
  
अब पुलिस अधिकारी भले ही कार्रवाई की बात कर रहे हों लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब नाबालिग खुद उसके साथ गैंगरेप किए जाने का खुला आरोप लगाती रही तो आखिर पांच दिनों तक पुलिस ने उसकी एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की? पुलिस ने उसका मेडिकल कराके जांच क्यों नहीं की? और अब घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद क्या मेडिकल में गैंगरेप के साक्ष्य मिलेंगे? 

 

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