
कोलकाता में जादवपुर विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने पिछले सप्ताह एक परीक्षा के दौरान एक संकाय सदस्य पर 'यौन उत्पीड़न' करने का आरोप लगाया था. अब उस मामले में जांच शुरू होने से पहले ही एक अन्य शिक्षक ने उस छात्रा को ही 'अपराध' का दोषी घोषित कर दिया. ये आरोप खुद पीड़ित छात्रा ने अपनी शिकायत में लगाया है.
यहां 'अपराध' से उसका मतलब सेमेस्टर परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का सहारा लेने से था. जिसका उस छात्रा पर आरोप लगाया गया था. उस लड़की ने अपनी पहली शिकायत यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार स्नेहमंजू बसु को 21 फरवरी को भेजी थी, जबकि दूसरी शिकायत मंगलवार को मेल की थी.
इस मामले में विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें दोनों ईमेल मिले हैं और पहले ईमेल को निष्पक्ष जांच के लिए आंतरिक शिकायत समिति को भेज दिया गया है.
पहले ईमेल में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग की छात्रा ने आरोप लगाया कि आरोपी शिक्षक ने पहले सेमेस्टर की परीक्षा के दौरान उस पर नकल करने का आरोप लगाते हुए पुरुष छात्रों के सामने असुविधाजनक तरीके से उसकी तलाशी ली थी. लेकिन उसने दावा किया कि तलाशी में कुछ नहीं मिला था.
दूसरे ईमेल में छात्रा ने कहा कि यह घटना मीडिया में रिपोर्ट की गई थी, जिसमें एक अन्य शिक्षक का हवाला दिया गया था. जो आरोपी प्रोफेसर के समर्थन में आया था. छात्रा ने बताया कि उन मीडिया रिपोर्टों में उसने देखा कि एक प्रोफेसर, जो जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (JUTA) के प्रतिनिधि हैं, उन्होंने जांच शुरू होने से पहले ही प्रेस को बयान दे दिया कि छात्रा एक अपराध की दोषी है.
छात्रा ने दावा किया कि वो वरिष्ठ शिक्षक उनके विभाग का हिस्सा नहीं है, फिर भी उनके इस तरह के रुख से जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है और उन्हें न्याय नहीं मिलने का डर है. उन्होंने यह भी कहा कि उनके पहले मेल के बाद, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं और अन्य छात्रों को उनकी शिकायत के कारण परेशानी हो रही है.
उधर, JUTA महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने घटना संबंधी अपने बयान और दूसरे मेल पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. रॉय ने इससे पहले पीटीआई को बताया था कि JUTA के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार, छात्रा को एक महिला पर्यवेक्षक ने परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का सहारा लेते हुए पकड़ा था. तब उन्होंने कहा था कि अगर पर्यवेक्षकों के खिलाफ ऐसे आरोप लगाए जाते हैं, तो उस काम को जारी रखने के बारे में दो बार सोचेंगे.