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क्राइम सीन पर 40 मिनट देरी से क्यों पहुंची पुलिस... कोलकाता कांड में इन सवालों के जवाब तलाश रही CBI

Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में सीबीआई कई एंगल से जांच कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि डॉक्टर का शव मिलने के बाद पुलिस को 40 मिनट देरी से क्यों सूचित किया गया.

लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में सीबीआई कई एंगल से जांच कर रही है. लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में सीबीआई कई एंगल से जांच कर रही है.
श्रेया चटर्जी
  • कोलकाता,
  • 30 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 11:35 PM IST

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में सीबीआई कई एंगल से जांच कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसी ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि डॉक्टर का शव मिलने के बाद पुलिस को 40 मिनट देरी से क्यों सूचित किया गया. इसकी भी जांच की जा रही है कि क्या डॉक्टर के शव के मिलने और क्राइम सीन पर पुलिस के पहुंचने के बीच अस्पताल के अधिकारियों की ओर से अपराध को छिपाने का प्रयास किया गया था.

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कोलकाता पुलिस की जांच के अनुसार, लेडी डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह 9:30 बजे बरामद किया गया था. लेकिन पुलिस स्टेशन को पहली कॉल 40 मिनट बाद सुबह 10:10 बजे मिली. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और ताला पुलिस स्टेशन के बीच एक किमी की दूरी है, जो महज चार मिनट में तय की जा सकती है. इसके बावजूद पुलिस को घटनास्थल पर पहुंचने में एक घंटे से अधिक का समय लग गया, जो कि एक बड़ी चूक के रूप में देखा जा रहा है.

इस तरह शव मिलने और क्राइम सीन को सील करने के बीच एक घंटे की देरी हो गई. यही वजह है कि वहां भीड़ एकत्र हो गई, जिसकी वजह से क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ हो गई. सीबीआई पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की सीडीआर की जांच कर रही है, ताकि पता चल सके कि उनकी ओर से कोई हस्तक्षेप हुआ है या नहीं. उन्हें शुक्रवार को रिकॉर्ड 14वीं बार पूछताछ के लिए बुलाया गया. इसके साथ ही सीबीआई ने ताला थाना प्रभारी से भी इसके बारे में पूछताछ की है.

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लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस में आजतक के हाथ एक एक्सक्लूसिव तस्वीर लगी है. इसमें अस्पताल के सेमिनार हॉल में मौजूद क्राइम सीन पर भीड़ देखी जा सकती है. इस केस की जांच कर रही सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिसकी इस तस्वीर से पुष्टि की जा सकती है. लेकिन कोलकाता पुलिस का कहना है कि तस्वीर में वही लोग दिख रहे हैं, जिन्हें वहां रहने की इजाजत दी गई थी. 

कोलकाता पुलिस सूत्रों का दावा है कि ये तस्वीर 9 अगस्त की है. इससे पहले एक वीडियो भी सामने आया था, जिसने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. 43 सेकंड के इस वीडियो को 9 अगस्त की सुबह उसी सीन ऑफ क्राइम का बताया जाता है, जहां अस्पताल के अंदर ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और कत्ल जैसी भयानक वारदात हुई थी. इस वीडियो में सीन ऑफ क्राइम में लोग की भीड़ दिखी थी.

इसमें लोग एक-दूसरे से बातें करते, ताकते-झांकते और मोबाइल फोन चलाते देखे गए. इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये कि लोगों की इस भीड़ में पुलिस वाले भी मौजूद रहे. कोलकाता पुलिस ने वीडियो को 9 अगस्त की सुबह अस्पताल के सेमिनार रूम का तो माना है, लेकिन उसका कहना है कि तब तक उसने लाश के इर्द-गिर्द वाली जगह को क्वार्डन ऑफ कर दिया था यानी घेर दिया था और ये लोग उस घेरेबंदी वाली जगह के बाहर खड़े हैं. 

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कोलकाता पुलिस की इस सफाई से ही ये साफ है कि इतने सारे लोग उसी सेमिनार हॉल के अंदर तब घुस आए, जब हॉल में लाश पड़ी थी और सीन ऑफ क्राइम को सुरक्षित करना पहली और सबसे बड़ी जरूरत थी. इस वीडियो में कुछ लोगों की पहचान का दावा भी किया गया है. इस वीडियो में पुलिस चौकी इंचार्ज संजीव चट्टोपाध्याय, वकील शांतनु दे, पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के पीए और फॉरेंसिक डेमोंस्ट्रेटर देवाशीष सोम को देखे जाने का दावा किया गया है. 

ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इतने सारे लोग सीन ऑफ क्राइम पर क्या कर रहे हैं. अजीब बात तो है कि इस भीड़ में अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ के साथ-साथ कई बाहर के लोग भी हैं, जिनके कायदे से यहां होने का कोई तुक ही नहीं बनता है. इस हालत पर अब पुलिस को जवाब देते नहीं बन रहा है. कोलकाता पुलिस की डीसीपी सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी ने इस वीडियो को सही ठहराया है. उन्होंने माना कि ये वीडियो सेमिनार रूम के अंदर का ही है.

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