
मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने बुधवार को कहा कि समलैंगिक संबंधों को समझने के लिए वे एक मनोवैज्ञानिक के साथ एक शैक्षिक सत्र से गुजरना चाहेंगे. एक समलैंगिक जोड़े की प्रोटेक्शन के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि शैक्षिक सत्र से इस मामले में उनकी जानकारी का विकास होगा.
दो लड़कियों के माता-पिता ने उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी, वहीं से यह मामला शुरू हुआ. माता-पिता लड़कियों के समलैंगिक संबंध के खिलाफ थे. उन्होंने इस मामले में शिकायत की. इसके बाद लड़कियों ने सुरक्षा की गुहार लगाई.
न्यायाधीश बेहद संवेदनशीलता के साथ इस मामले का निपटारा करने की कोशिश कर रहे हैं. वे यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि याचिकाकर्ता और उनके माता-पिता इस परिदृश्य को समझने को तैयार हों कि हालात क्या हैं.
न्यायाधीश ने अपने पहले के आदेश में इस बात पर जोर दिया था कि इस मामले से निपटने के लिए संवेदनशीलता और सहानुभूति की आवश्यकता है. यह केस एक मिसाल भी है, जो इस बात को उजागर करता है कि समाज अभी भी समलैंगिक संबंधों को किस तरह से देखने की कोशिश कर रहा है. इससे पहले की सुनवाई में जज ने कहा था कि इस मामले में जज भी यौन संबंध के विषय पर अपनी पूर्व धारणा को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
जबकि पिछली बार जज ने दोनों याचिकाकर्ताओं और उनके माता-पिता को परामर्श देने का आदेश दिया था. उस सेशन के अवलोकन से यह साफ हो गया है कि दोनों लड़कियां पूरी तरह से अपने रिश्ते को समझती हैं. जबकि उनके माता-पिता धीरे-धीरे इसे समझ रहे हैं. क्योंकि माता-पिता के सामने दुनिया में लड़कियों को लेकर सामाजिक कलंक और बहिष्कार जैसे कई सवाल खड़े हैं.
इससे निपटने के लिए अदालत ने दोनों परिवारों और दंपति को काउंसलिंग सत्र जारी रखने की सलाह दी है. जिसमें कहा गया है कि पिछला सत्र संबंधित पक्षों की मानसिकता में कुछ प्रगति लेकर आया है.
अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जून 2021 को होगी. इस बीच कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि माता-पिता की शिकायत पर दर्ज एफआईआर को तुरंत बंद किया जाए.