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जौहर यूनिवर्सिटी मामलाः आजम खान पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज, ED ने रामपुर के DM से मांगी ये 5 जानकारी

जौहर यूनिवर्सिटी मामले में एक बार फिर से आजम खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर इसकी जांच शुरू कर दी है. इस मामले में ईडी ने रामपुर के डीएम को चिट्ठी लिखकर 5 जानकारियां मांगी हैं.

सपा नेता आजम खान (फाइल फोटो) सपा नेता आजम खान (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 28 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:09 PM IST
  • जौहर यूनिवर्सिटी मामले में फिर घिरे आजम
  • ईडी ने रामपुर के डीएम से मांगी जानकारी

जेल में बंद समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ सकती हैं, क्योंकि जौहर यूनिवर्सिटी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इतना ही नहीं, ईडी ने रामपुर के डीएम को चिट्ठी लिखकर इस पूरे मामले से जुड़ी 5 जानकारियां भी मांगी हैं. रामपुर के बीजेपी नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर आजम खान के खिलाफ ये कार्रवाई की जा रही है.

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ED ने रामपुर के डीएम से मांगी ये 5 जानकारी
1. जौहर यूनिवर्सिटी पर एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल किसका है?
2. अभी तक मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी मामले में क्या कार्रवाई हुई है और कोई मामला अदालत में विचाराधीन तो नहीं है?
3. जमीन अधिग्रहण करने के वो सभी रिकॉर्ड मांगे हैं जिसमें गलत तरीके से सरकारी और दूसरी जमीनें जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट के नाम पर अधिग्रहित की गई हैं.
4. यूनिवर्सिटी के खिलाफ स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के सभी आदेश की कॉपी मांगी है.
5. इसके अलावा भी अगर कोई जानकारी जौहर यूनिवर्सिटी के मामले में है तो वो सभी जानकारी प्रवर्तन निदेशालय ने मांगी हैं.

इसके ईडी ने एक अधिकारी को नोडल बनाकर उनका एक फोन नंबर भी जारी किया है, ताकि अगर किसी के पास कोई और जानकारी हो तो वो सीधे शेयर कर सके.

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क्या है पूरा मामला?
जौहर यूनिवर्सिटी आजम खान का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है. 2006 में सपा सरकार के दौरान इसका शिलान्यास हुआ था, तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव खुद कई मंत्रियों के साथ रामपुर आए थे. इसके बाद 2012 में इसका उदघाटन अखिलेश यादव की सरकार में हुआ. हालांकि, यह यूनिवर्सिटी अपनी जमीनों को लेकर विवादों में आ गई. इस पर किसानों की जमीन कब्जाने का आरोप भी लगा. साथ ही ये भी आरोप है कि इस यूनिवर्सिटी के नाम पर जितनी जमीनें अधिग्रहित की गईं, उनमें से ज्यादा सरकारी जमीनें थीं. इसके अलावा यूनिवर्सिटी में आधे से ज्यादा सरकारी पैसे का इस्तेमाल हुआ है.

 

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