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पिता ने छीना मोबाइल तो 16 साल के लड़के ने दे दी जान, बच्चों को एडिक्शन से ऐसे बचाएं

मुंबई में खुदकुशी की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक पिता ने अपने 16 साल के लड़के से मोबाइल फोन छीन लिया. इससे नाराज होकर बच्चे ने अपनी मां के दुपट्टे को फांसी का फंदा बनाकर अपनी जान दे दी. हर घटना हर मां-बाप के लिए परेशान करने वाली है. बच्चों को इसके एडिक्शन से ऐसे बचाया जा सकता है.

मुंबई में खुदकुशी की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. मुंबई में खुदकुशी की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:40 PM IST

मोबाइल फोन और इंटरनेट ने लोगों की जिंदगी आसान कर दी है. इसके जरिए लोग हर समय एक-दूसरे के संपर्क में बने रह सकते हैं. एक मोबाइल फोन से कई तरह के काम लिए जा सकते हैं. किसी से बातचीत करने से लेकर खाली समय में गेम खेलने तक का काम लोग करते हैं. बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को मोबाइल में नजरें गड़ाए देखा जा सकता है. लेकिन मोबाइल फोन बच्चों के लिए दुश्मन बन चुका है. इससे न केवल उनका कीमती समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि कई तरह की बीमारियां भी हो रही है. इनसे बचाने के लिए माता-पिता यदि कुछ कोशिश करते हैं, तो बच्चे खतरनाक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते. ऐसा ही एक दुखद मामला मुंबई में देखने को मिला है.

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जानकारी के मुताबिक, मुंबई के मालवानी में एक परिवार रहता है. 16 साल का एक लड़का अक्सर मोबाइल फोन में गेम खेलता रहता था. उसके माता-पिता इसे देखकर बहुत दुखी रहते थे. क्योंकि इसकी वजह से उसकी पढ़ाई पर प्रभाव पड़ रहा था. 16 नवंबर की रात की बात है. बच्चा हमेशा की तरह मोबाइल में नजरें जमाए हुए था. पिता ने उससे मोबाइल रखने के लिए कहा तो उसने अनसुना कर दिया. इसके बाद नाराज पिता ने उससे फोन छीन लिया. लड़का अपने पिता से लड़ने लगा. दोनों के बीच तीखी बहस हुई. इस दौरान उसने पिता को धमकी दी कि वो अपनी जान दे देगा. पिता को लगा कि उसने गुस्से में कहा होगा इसलिए उन्होंने उसकी धमकी गंभीरता से नहीं लिया.   
 
17 नवंबर की रात को उस लड़के ने अपनी मां का दुपट्टा लिया. किचन में लटक रहे हुक में फंदा बनाकर झूल गया. कुछ देर बाद मां जब किचन में गई तो बच्चे को लटकता देखकर उनकी चीख निकल गई. आनन-फानन में उसे नीचे उतारकर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. अस्पताल ने पुलिस को सूचित कर दिया. इसके बाद लड़के के शव का पोस्टमार्टम कराया गया. इस घटना को सुनकर हर कोई सन्न है. मोबाइल फोन की वजह से आए दिन बच्चों के जान देने की सूचनाएं आती रहती हैं. मोबाइल लेने की वजह से नाराज कोई बच्चा ट्रेन के आगे तो कोई छत से नीचे कूदकर अपनी जान दे देता है. ऐसे करने वाले ज्यादातर किशोर बच्चे होते हैं.

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बच्चों को मोबाइल फोन के एडिक्शन से ऐसे बचाएं

ज्यादातर कामकाजी लोग बच्चों को व्यस्त रखने के लिए बचपन से ही मोबाइल फोन दे देते हैं. यही बच्चे बड़े होकर उसकी लत के शिकार हो जाते हैं. उनका स्वास्थ्य और पढ़ाई प्रभावित होने लगता है, तो अभिभावकों को परेशानी होने लगती है. उस समय अचानक मोबाइल ले लेने पर बच्चे आक्रामक हो जाते हैं. उसके बाद कई बच्चे खतरनाक कदम उठा लेते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए माता-पिता को बचपन से ही ध्यान देना जरूरी होता है. यदि किसी बच्चे को एडिक्शन हो जाता है, तो बहुत प्यार से उसके साथ व्यवहार करना होता है. इसके लिए सतत मार्गदर्शन, चिकित्सिय परामर्श और थेरेपी की जरूरत होती है. आइए मोबाइल फोन की लत छुड़ाने के उपायों के बारे में जानते हैं.
 
- सबसे पहले माता-पिता को अपने बच्चों के लिए मोबाइल फोन का समय निर्धारित करना चाहिए. उनको समझाएं और निश्चित समय सीमा तक ही फोन का इस्तेमाल करने दें. हो सके तो उनके टाइम टेबल में इस समय का उल्लेख कर दें. ज्यादा से ज्यादा मोबाइल मुक्त गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें.

- बच्चों में बदलाव के लिए खुद को बदलना बहुत जरूरी है. इसका मतलब ये हुआ कि बच्चों के मोबाइल की लत को छुड़ाने के लिए सबसे पहले खुद उसके इस्तेमाल की सीमा निर्धारित करनी होगी. इसके साथ ही बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा बातचीत करनी चाहिए. 

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- बच्चों को शारीरिक और बाहरी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. माता-पिता खेल, शौक या सामुदायिक गतिविधियों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. ऐसा करके बच्चों को डिवाइस से दूर रखा जा सकता है. उनको एक बार आनंद आने लगा तो वो खुद ही इन गतिविधियों की ओर आकर्षित होते जाएंगे.

- माता-पिता अपने टीनएज बच्चों किशोरों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अत्यधिक स्क्रीन समय के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बारे में बता सकते हैं. नींद में कमी, आंखों पर तनाव और पारस्परिक संबंधों पर प्रभाव जैसे विषयों पर चर्चा कर सकते हैं.

- माता-पिता ऐप के उपयोग और स्क्रीन टाइम को मॉनिटर करने के लिए स्मार्टफोन पर पैरेंटल कंट्रोल फीचर का इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसे करके बच्चों को मोबाइल के सीमित इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. वरना कई बार बच्चे चुपके से फोन का इस्तेमाल करने लगते हैं. 

- किशोर बच्चों के साथ सामान्य व्यवहार करना चाहिए. उनसे सतत बातचीत करनी चाहिए. उनके मन की बातों को समझने की कोशिश करनी चाहिए. इसके साथ ही उनको मोबाइल के दुष्प्रभावों के बारे में लगातार बताना चाहिए. डरा-धमाकर मोबाइल फोन के इस्तेमाल को नहीं रोका जा सकता है.  

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