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मुंबईः रेप केस से बचने के लिए पेश किया था फर्जी डेथ सर्टिफिकेट, अब अदालत ने सुनाई सजा

साल 2015 में विद्यामणि विश्वकर्मा (28) नाम के शख्स ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक बच्ची का रेप करने की कोशिश की थी. लेकिन लड़की की रोने की आवाज सुनकर उसकी मां पहुंच गई थी और बच्ची को बचा लिया था.

मुंबई सेशन कोर्ट ने सुनाया फैसला (सांकेतिक फोटो) मुंबई सेशन कोर्ट ने सुनाया फैसला (सांकेतिक फोटो)
विद्या
  • मुंबई,
  • 12 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST
  • लड़की ने अदालत में अपराधी को पहचान लिया था
  • एक हेड कांस्टेबल ने न्याय के लिए लगा दी थी पूरी ताकत
  • 7 साल की सजा के साथ 10 हजार जुर्माना लगाया गया है

मुंबई सेशन कोर्ट ने तीन साल की बच्ची से रेप की कोशिश करने वाले एक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कार्यवाही के दौरान आरोपी ने फर्जी डेथ सर्टिफिकेट लगाकर खुद को मरा साबित करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने खोज निकाला.

साल 2015 में विद्यामणि विश्वकर्मा (28) नाम के शख्स ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक बच्ची से रेप करने की कोशिश की थी. लेकिन लड़की की रोने की आवाज सुनकर उसकी मां पहुंच गई थी और बच्ची को बचा लिया.

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कार्यवाही के दौरान लड़की ने अदालत में अपराधी को पहचान लिया था. उसने जज को बताया, "मैं अपनी मां, पापा और बड़ी बहन के साथ रहती हूं. मैं स्कूल जाती थी. स्कूल से लौटने के बाद खेलती थी. मेरे दो दोस्त हैं. मैं उनके साथ रिंगा रिंगा रोजेस खेला करती थी. मेरे घर के पास और भी घर हैं. अंकल ने मेरे प्राइवेट पार्ट पर तेल लगाया और मेरे करीब आकर बैठ गए तो मैं चिल्लाने लगी."

अदालत के समक्ष अपने बयान में बच्ची की मां ने कहा था कि जब उसने अपनी बेटी को विश्वकर्मा के घर में चिल्लाते हुए देखा त​​ब वह टॉवेल में था. वह बच्ची को अपने साथ ले गई और उसने महसूस किया कि बच्ची का अंडरगारमेंट गीला है. उसने तुरंत अपनी बेटी से पूछा कि ​क्या हुआ है तो बच्ची ने किसी तरह सारी बातें बताईं. विश्वकर्मा को तुरंत गिरफ्तार करके उसका ​डीएनए टेस्ट भी कराया गया था.

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इस बीच, मुकदमे के ट्रायल के दौरान विश्वकर्मा को जमानत मिल गई और वह कहीं भाग गया. इसके बाद उसके वकील ने विश्वकर्मा का मृत्यु प्रमाणपत्र दायर किया. सरकारी वकील गीता शर्मा ने कहा, "आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, लेकिन उसके वकील ने उसका मृत्यु प्रमाणपत्र दायर किया और मुकदमे को खत्म करने की मांग की. जब मैंने पुलिस से मृत्यु प्रमाणपत्र को वेरीफाई करने को कहा तो वर्ली पुलिस ने आरोपी को उत्तर प्रदेश में उसके स्थायी निवास से गिरफ्तार ​किया."

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वर्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल नीलेश तालेकर ने इस छोटी बच्ची को न्याय दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत से प्रयास किए. आरोपी को फिर से अदालत में लाने के बाद उसके खिलाफ फिर से मुकदमा चलाया गया.

कोर्ट में आखिरी दलीलों के दौरान वकील गीता शर्मा ने डीएनए रिपोर्ट को आधार बनाया जो आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत था. दलीलें सुनने के बाद अदालत ने विश्वकर्मा को 7 साल की सजा सुनाई है और 10,000 का जुर्माना भी लगाया है.

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