
मुंबई की एक विशेष अदालत ने मदरसा के शिक्षक को 20 साल जेल की सजा सुनाई है. उसने कुर्ला के एक घर में 8 साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न किया था. कोर्ट ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम यानी POCSO एक्ट के तहत सजा सुनाई है. आरोपी का नाम सलमान अहमद नफीस अंसारी है. पीड़िता उसे सलमान हाफिज कहती थी.
विशेष न्यायाधीश सीमा जाधव ने केस की सुनवाई की और सलमान को दोषी पाया. कोर्ट ने कहा, 'शिक्षक से संरक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है. आरोपी के इस तरह के जघन्य कृत्यों का पीड़ित बच्ची पर आजीवन मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक असर पड़ेगा.'
कोर्ट ने आगे कहा- 'आरोपी ने 8 साल की छोटी-सी उम्र में बच्ची को शिकार बनाया और उसके जीवन पर कभी ना मिटने वाला दाग लगा दिया. आरोपी ने यह अपराध तब किया, जब बच्ची ने अभी जीना और अपने जिंदगी को समझना शुरू ही किया था. विश्वास पात्र व्यक्ति के इस तरह के अपराध जीवन को सकारात्मक तरीके से देखने के लिए बच्चे की धारणा को बदल देते हैं.'
कोर्ट ने फैसले में आगे कहा- 'आरोपी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि शिक्षक था. अन्य व्यवसायों को प्रभावित करने वाला एकमात्र करियर शिक्षण है. इसमें भावी पीढ़ियों के लाभ के लिए युवाओं के भविष्य को प्रभावित करने की शक्ति है.'
पीड़ित बच्ची को दी थी धमकी
लड़की हफ्ते में दो बार टीचर के पास अरबी क्लास के लिए जाती थी. 6 मई 2019 को जब पीड़िता क्लास में गई तो आरोपी ने उसका यौन शोषण किया. इसके साथ ही उसने बच्ची को धमकी दी कि यदि उसने किसी को इस बारे में बताया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
पीड़ित बच्ची घर लौटी तो काफी डरी हुई थी. उसने मां को भी कुछ नहीं बताया. मगर, जब मां ने उसे दोपहर में क्लास जाने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया और बताया कि उसके साथ ज्यादती की गई थी. उसके बाद मां ने आरोपी के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया था.
कोर्ट ने खारिज किए दोषी के तर्क
सलामन की वकील शबाना सैयद ने तर्क दिया कि आरोपी देवबंदी पंथ से है, जबकि पीड़ित परिवार सुन्नी संप्रदाय से है. सैयद ने अदालत के समक्ष कहा- 'देवबंदी और सुन्नी संप्रदायों के बीच एक आम विवाद है और आरोपी के मदरसे को बंद करने के लिए उसे झूठे मामले में फंसाया जा रहा है.'
हालांकि, अदालत ने कहा कि आरोपी 'विभिन्न संप्रदायों से हो सकते हैं, लेकिन वे मुख्य तौर पर मुस्लिम धर्म से हैं और इसलिए सांप्रदायिक विवाद का आधार असंभव लगता है. इसके अलावा, कोई भी मां ऐसे झूठे आरोप लगाकर अपनी बच्ची के चरित्र और भविष्य को जोखिम में नहीं डालेगी.