
जेल में बंद गैंगस्टर और गुड़गांव के पूर्व पार्षद बिंदर गुर्जर उर्फ वीरेंद्र करन सिंह गुर्जर ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है. यह अर्जी 2016 के गडोली फेक एनकाउंटर केस के सिलसिले में दाखिल की गई है. जिसमें गुर्जर ने कहा कि जब गडोली में फर्जी मुठभेड़ हुई थी, तब वह जेल में बंद था. इस घटना से उसका कोई संबंध नहीं है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई थी, जब मुंबई के अंधेरी इलाके में मौजूद मेट्रो होटल में बिंदर गुर्जर के ड्राइवर अशोक गुर्जर की हरियाणा के गैंगस्टर संदीप गडोली ने 4 अक्टूबर 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी थी.
पहले गुड़गांव के पुलिस अधिकारियों ने दावा किया था कि उन्होंने आत्मरक्षा में गडोली को मार डाला, लेकिन सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग से पता चला कि उन्होंने निहत्थे गडोली पर गोलियां चलाईं थी. इस खुलासे के तुरंत बाद फर्जी मुठभेड़ का मामला दर्ज किया गया और पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.
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इसी मामले में साल 2019 में, बिंदर गुर्जर को भी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने दावा किया था कि बिंदर गुर्जर ने गडोली के साथ दुश्मनी के चलते कथित तौर पर साजिश रची और संगीन वारदात को अंजाम दिया था.
अधिवक्ता सना रईस खान के माध्यम से दायर जमानत याचिका में कहा गया है कि वर्तमान अपराध में साजिश का तथ्य अभियोजन द्वारा पर्याप्त रूप से स्थापित नहीं किया गया है. इस मामले में चार्जशीट और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई है.
जमानत की मांग करते हुए, याचिका में गुर्जर ने कहा है कि इस मामले में उनकी कोई विशिष्ट भूमिका नहीं है और न ही कोई भौतिक सबूत है, जो दर्शाता है कि हरियाणा पुलिस ने आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ मिलकर ये अपराध किया है.
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सना रईस खान द्वारा तैयार की गई जमानत याचिका में कहा गया है कि अपराध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, अपराध में उनके और अन्य सह-अभियुक्तों के बीच साजिश के लिए "किसी भी समझौते का अस्तित्व नहीं है" और यह गुर्जर के खिलाफ मामले को कमजोर करता है. जमानत याचिका में कहा गया है कि जब मुठभेड़ हुई थी, तब गुर्जर खुद एक अन्य मामले में सलाखों के पीछे था.
पिछले वर्ष गुर्जर ने मुंबई सत्र अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. उस वक्त न्यायाधीश मिलिंद ए. भोसले ने गवाहों के बयान देखे थे और कहा था कि प्रथम दृष्टया गुर्जर के खिलाफ सबूत हैं. अब यह मामला 26 नवंबर को निचली अदालत में आरोप तय करने के लिए रखा गया है. इसके बाद गुर्जर की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट में उचित समय पर सुनवाई होगी.