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122 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में व्यवसायी जावेद आजम को मुंबई पुलिस ने किया गिरफ्तार

मुंबई पुलिस ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में व्यवसायी जावेद आजम को गिरफ्तार किया है. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार देर रात जावेद आजम (48) को हिरासत में लिया. इस मामले में यह अब तक की सातवीं गिरफ्तारी है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.

 122 करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में व्यवसायी जावेद आजम को गिरफ्तार किया गया है.  122 करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में व्यवसायी जावेद आजम को गिरफ्तार किया गया है.
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 18 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

मुंबई पुलिस ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपए के घोटाले के सिलसिले में व्यवसायी जावेद आजम को गिरफ्तार किया है. मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने सोमवार देर रात जावेद आजम (48) को हिरासत में लिया. इस मामले में यह अब तक की सातवीं गिरफ्तारी है. इस मामले में आगे की जांच जारी है.

एक अधिकारी ने बताया, "जांच के दौरान ईओडब्ल्यू ने पाया कि जावेद आजम को गिरफ्तार आरोपियों में से एक उन्नाथन अरुणाचलम के जरिए से 18 करोड़ रुपए मिले थे. कांदिवली निवासी आजम बिजली के सामान के वितरण का व्यवसाय करता है.. इसी तरह के व्यापार से जुड़ा उन्नाथन अरुणाचलम कुछ समय पहले उसके संपर्क में आया था.

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उन्होंने बताया कि जांच में पता चला है कि उन्नाथन और उसके पिता मनोहर अरुणाचलम ने बैंक से 33 करोड़ रुपए की हेराफेरी की है. बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, ने साल 2019 में मनोहर को 15 करोड़ रुपए दिए थे. उसके बाद उनके कार्यालय में 18 करोड़ रुपए दिए, जो आजम को सौंप दिए. 

पुलिस के अनुसार, मुंबई में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपए निकाले गए. कुछ और व्यक्तियों को भी वांछित आरोपी के रूप में नामित किया गया है. इनमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष हिरेन भानु और उनकी पत्नी, पूर्व उपाध्यक्ष गौरी भानु शामिल हैं, जो घोटाले के सामने आने से ठीक पहले विदेश भाग गए थे.

पिछले हफ्ते मुंबई पुलिस ने मुख्य आरोपी हितेश मेहता पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था. यह टेस्ट, जिसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है, मेहता पर शहर के कलिना इलाके में फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में किया गया था. ईओडब्ल्यू के सूत्रों के अनुसार, इस टेस्ट के परिणाम हिदेश मेहता के जवाबों में संभावित धोखे का संकेत देते हैं.

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बताते चलें कि यह घोटाला तब सामने आया, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक के कैश सेफ की जांच की थी. इसके बाद दादर थाने में केस दर्ज किया गया, जिसे बाद में आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दिया गया. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी हितेश मेहता, बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु और रियल एस्टेट डेवलपर धर्मेश पौन को गिरफ्तार किया गया है.

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