
महाराष्ट्र के नांदेड़ में साल 2006 को हुए बम विस्फोट मामले में सभी नौ जीवित आरोपियों को बरी कर दिया गया. निचली अदालत ने करीब 18 साल बाद इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. बचाव पक्ष के एक वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि यह घटना बम विस्फोट थी.
इस मामले में कुल 12 आरोपियों में से दो की विस्फोट में मौत हो गई थी, जबकि एक की मौत मुकदमे के दौरान हुई थी. जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सी वी मराठे ने शनिवार को शेष सभी आरोपियों को बरी कर दिया. 4 और 5 अप्रैल, 2006 की मध्य रात्रि को नांदेड़ में एक आरएसएस वर्कर के घर विस्फोट हुआ था.
आरएसएस वर्कर का नाम लक्ष्मण राजकोंडवार था. जांचकर्ताओं ने दावा किया कि राजकोंडवार के बेटे नरेश राजकोंडवार और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता हिमांशु पानसे की विस्फोटक उपकरण को इकट्ठा करते समय मौत हो गई थी. इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी.
इसके बाद में इस केस को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया. बचाव पक्ष के वकील नितिन रनवाल के अनुसार, मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 49 गवाहों से पूछताछ की गई. लेकिन अभियोजन पक्ष अदालत में यह साबित नहीं कर सका कि यह घटना एक 'बम विस्फोट' थी.
बताते चलें कि महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय को भी कई बार बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है. साल 2022 में एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन करके धमकी दी थी. पुलिस ने बताया कि कंट्रोल रूम में दोपहर 1 बजे एक आरोपी ने धमकी भरा फोन किया था.
डीसीपी ने बताया था कि सूचना मिलते ही एक बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉयड टीम को भेज दिया गया. लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला था. एहतियात के तौर पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई थी. संघ मुख्यालय में पहले से ही पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था रहती है. सीआरपीएफ की एक टुकड़ी सुरक्षा में तैनात रहती है.