
122 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में एक स्थानीय अदालत ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन हीरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है. ये दोनों इस केस के सामने आने से ठीक पहले देश छोड़कर भाग गए थे. इस मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया है.
एक अधिकारी ने बताया, "बैंक के पूर्व चेयरमैन और वाइस चेयरमैन हीरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु इस मामले में वांछित आरोपी हैं. वे क्रमश: 26 जनवरी और 10 फरवरी को देश छोड़कर चले गए. दोनों देश से बाहर हैं. जांच के लिए उनका पता लगाना जरूरी है, इसलिए उनके खिलाफ पहले ही 'ब्लू कॉर्नर नोटिस' जारी किया जा चुका है. ईओडब्ल्यू ने गैर-जमानती वारंट जारी करने के लिए आवेदन दिया था.
ईओडब्ल्यू के अनुसार, अदालत ने दंपत्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. जांच टीम दंपत्ति को उनके ज्ञात पते पर नहीं ढूंढ पाई. दक्षिण मुंबई में उनके खुद के और किराए के अपार्टमेंट में तलाशी ली गई. एक अन्य आरोपी उन्नाथन अरुणाचलम गिरफ्तार होने से पहले बिहार में छिपा हुआ था. पुलिस ने कहा है कि मुंबई में बैंक के प्रभादेवी और गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से 122 करोड़ निकाले गए.
बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता को 15 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद छह अन्य आरोपियों को हिरासत में लिया गया. पिछले सप्ताह मुंबई पुलिस ने मेहता का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया था. टेस्ट के नतीजों से मेहता के जवाबों में संभावित धोखाधड़ी का संकेत मिलता है. अधिकारी आगे के वित्तीय लेनदेन तथा बड़े पैमाने पर हुए घोटाले में और अधिक व्यक्तियों की संलिप्तता की जांच कर रहे हैं.
बताते चलें कि इस मामले में एक व्यवसायी जावेद आजम को सोमवार की देर रात को गिरफ्तार किया गया था. एक अधिकारी ने बताया था, "जांच के दौरान ईओडब्ल्यू ने पाया कि जावेद आजम को गिरफ्तार आरोपियों में से एक उन्नाथन अरुणाचलम के जरिए से 18 करोड़ मिले थे. आजम बिजली के सामान का व्यवसाय करता है.. इसी तरह के व्यापार से जुड़ा उन्नाथन अरुणाचलम कुछ समय पहले संपर्क में आया था.
उन्होंने बताया कि जांच में पता चला है कि उन्नाथन और उसके पिता मनोहर अरुणाचलम ने बैंक से 33 करोड़ रुपए की हेराफेरी की है. बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता, जो इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, ने साल 2019 में मनोहर को 15 करोड़ रुपए दिए थे. उसके बाद उनके कार्यालय में 18 करोड़ रुपए दिए, जो आजम को सौंप दिए. इसके अलावा कुछ और व्यक्तियों को भी वांछित के रूप में नामित किया गया है.