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दो साल पहले अगवा बच्चा बदायूं से बरामद, शादाब से अंश बनने तक ये है पूरी कहानी

2019 में ग्रेटर नोएडा के थाना ईकोटेक इलाके से 3 साल के एक बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. बच्चे को बदायूं से बरामद कर लिया गया है, लेकिन किडनैपिंग की पीछे की जो कहानी पुलिस के सामने आई है वह बेहद हैरान करने वाली है.

गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी
तनसीम हैदर
  • नोएडा,
  • 14 मई 2021,
  • अपडेटेड 9:06 AM IST
  • 2019 में बच्चे का हुआ था अपहरण
  • दो साल बाद बदायूं से हुआ बरामद

ग्रेटर नोएडा पुलिस ने करीब दो साल पुराने एक अपहरण कांड का खुलासा किया. थाना ईकोटेक-3 क्षेत्र से 2019 में अगवा हुए एक 5 साल के बच्चे को पुलिस ने गुरुवार को बरामद किया. अपहरणकर्ताओं ने बच्चे को बदायूं में रहने वाले अपने रिश्तेदार राजेंद्र शाक्य को 90 हजार रुपए में बेच दिया था. आरोपियों ने शादाब का नाम बदलकर अंश शाक्य रख दिया था.

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2019 में ग्रेटर नोएडा के थाना ईकोटेक इलाके से 3 साल के एक बच्चे का अपहरण कर लिया गया था. पिछले 2 साल से लगातार पुलिस की कई टीमें किडनैपिंग केस कम मामले को सुलझाने में जुटी हुई थी. बच्चे को बदायूं से बरामद कर लिया गया है, लेकिन किडनैपिंग की पीछे की जो कहानी पुलिस के सामने आई है वह बेहद हैरान करने वाली है. 

गौतमबुद्धनगर के जलपुरा गांव में रहने वाले बच्चे शादाब अली का जुलाई, 2019 में अपहरण हो गया था. इस बच्चे को बदायूं के रहने वाले राजाराम ने ग्रेटर नोएडा से अगवा कर लिया था. बच्चे की किडनैपिंग के बाद इन दोनों ने अपने एक रिश्तेदार राजेंद्र शाह के को यह बच्चा 90 हजार रुपये में बेच दिया था. 

90 हजार रुपये में खरीदा
बताया जा रहा है कि बदायूं के रहने वाले राजेंद्र शाक्य का कोई बेटा नहीं था. उनकी तीन बेटियां है. राजेंद्र का रिश्तेदार राजाराम ग्रेटर नोएडा में काम करता था. 2 साल पहले ही राजाराम खेलते वक़्त इस बच्चे को अगवा कर बदायूं ले गया था. कोई बेटा ना होने की वजह से राजाराम से यह बच्चा राजेंद्र शाक्य ने 90 हजार रुपये में खरीद लिया.

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इसके बाद राजेंद्र शाक्य ने गांव में यह बात फैला दी थी कि उसने बच्चे को गोद लिया है. आरोपियों ने शादाब का नाम बदलकर अंश शाक्य रख दिया था. इस मामले में पुलिस ने राजाराम तथा राजेंद्र को गिरफ्तार कर लिया है. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है.

ग्रेटर नोएडा का शादाब करीब दो साल तक बदायूं के गंगी नगला गांव में रहा. इस दौरान वह अपना अतीत भूल गया था. उसे पता नहीं था कि वह कौन है और कहां से लाया गया है. शुरुआत में उसे परेशानी हुई थी, लेकिन बच्चों में रहकर वह सब कुछ भूल गया. राजेंद्र के परिवार वाले उसे अंश कहकर बुलाते थे.

 

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