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खंडहर शहर, जमींदोज इमारतें, लाशों का ढेर... इजरायली कहर के बीच दिखा गाजा की तबाही का खौफनाक मंजर

इजरायल ने दक्षिणी गाजा की जमीन पर लड़ रहे अपने सभी सैनिकों को वहां से वापस बुला लिया है. वहीं खान यूनिस शहर से इजरायली सैनिकों की हुई वापसी के बाद समाने आई तस्वीरों में हैरान करने वाली तबाही दिख रही है. पूरा शहर बर्बाद हो चुका है. हर तरफ तबाही का मंजर साफ नजर आ रहा है.

इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग के छह महीने पूरे हो चुके हैं. इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग के छह महीने पूरे हो चुके हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग के छह महीने पूरे हो चुके हैं. इस दौरान गाजा में 33 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. लाखों लोग गंभीर रूप से घायल हैं. बचे हुए लोग भूख से तड़प रहे हैं. इसी बीच इजरायल ने दक्षिणी गाजा की जमीन पर लड़ रहे अपने सभी सैनिकों को वहां से वापस बुला लिया है. वहीं खान यूनिस शहर से इजरायली सैनिकों की हुई वापसी के बाद समाने आई तस्वीरों में हैरान करने वाली तबाही दिख रही है. पूरा शहर बर्बाद हो चुका है. हर तरफ तबाही का मंजर साफ नजर आ रहा है.

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इजरायली हमले में गाजा का शहर खान यूनिस खंडहर में तब्दील हो चुका है. घर जमींदोज नजर आ रहे हैं. स्कूल, अस्पताल और स्टेडियम का नामोनिशान मिट गया है. यहां-वहां लाशों का ढ़ेर लगा है. सड़कें और पुल टूटे-फूटे नजर आ रहे हैं. पिछले 6 महीने से इजरायली हमले झेल रहा शहर अब शांत है. क्योंकि इजरायली सैनिक यहां से जा चुके हैं. अब फिलिस्तीनी तबाही के बीच अपने घरों को लौट रहे हैं. दोबारा जिंदगी शुरू करने की सोच रहे हैं, लेकिन ज्यादतर लोग अपने घरों को पहचान ही नहीं पा रहे.

इजरायली बमबारी की वजह से खान यूनिस शहर का हुलिया ही बदल गया है. इजरायली सैनिकों के खान यूनिस से जाने के बाद सामने आई तस्वीरों ने सभी को हैरान परेशान कर दिया है. खान यूनिस से विस्थापित अहमद अबू रीश ने बताया, ''हम यह देखने आए थे कि घर का क्या हुआ लेकिन हमें पहले तो कोई घर नहीं मिला. यह सिर्फ मलबा है. आप यहां नहीं रह सकते. जानवर यहां नहीं रह सकते, तो इंसान कैसे रहेगा? विनाश अवास्तविक है." गाजा में इजरायली सेना द्वारा की गई तबाही के सबूत हर जगह साफ नजर आ रहे हैं.

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इजरायल ने दक्षिणी गाजा की जमीन पर लड़ रहे अपने सभी सैनिकों को वहां से वापस बुला लिया है. आईडीएफ का कहना है कि उसने गाजा के ख़ान यूनिस क्षेत्र में अपना मिशन पूरा कर लिया है. वो अब रफाह पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. मिस्र और गाजा के सीमा पर मौजूद रफाह ही एकलौता ऐसा इलाका बचा है, जहां इजरायल की सेना अभी तक नहीं पहुंची है. आईडीएफ यदि रफाह में जमीनी अभियान चलाती है तो बड़ी तादाद में फिलिस्तीनी हताहत होंगे, क्योंकि यहां पर 13 लाख से ज्यादा लोगों ने शरण ले रखी है.

दूसरी तरफ हमास की कैद से इजरायली बंधकी की रिहाई के लिए विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. यरूशलम की सड़कों पर हाथों में पोस्टर-बैनर के साथ उतरे हजारों लोगों ने इजरायल सरकार से बंधकों की रिहाई के लिए हमास से समझौता करने की अपील की है. बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों को डर है कि बिना सौदे के अगर युद्ध लंबा खिंचता है तो अधिक बंधक मारे जाएंगे. इसके साथ ही प्रदर्शनकारियों ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी वॉर कैबिनेट से इस्तीफा मांगा है. 

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू देश को विनाश के रास्ते पर ले जा रहे हैं. ऐसे में देश को नए नेतृत्व की जरूरत है. यरूशलम की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नेतन्याहू पर बंधकों की रिहाई के लिए सही कदम ना उठाने का भी आरोप लगाया. पिछले साल 7 अक्टूबर को गाजा पर शासन करने वाले हमास ने इजरायल पर हमला कर 1200 नागरिकों को मार डाला था. इसके साथ ही 250 से ज्यादा इजरायलियों और विदेशियों को बंधक बना लिया था. इसके बाद इजरायल ने अपनी सैन्य कार्रवाई शुरू की है.

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जॉर्डन की मध्यस्था में हुए समझौते के बाद हमास ने 100 से ज्यादा बंधकों को छोड़ दिया था, लेकिन अभी भी हमास के कब्जे में 130 से ज्यादा बंधक हैं. हमास का कहना है कि अगर इजरायल जंग रोक कर गाजा से वापस चला जाता है तो वो बंधकों को रिहा कर देगा, वहीं इजरायल का कहना है कि जबतक हमास बंधकों को नहीं छोड़ता, वो गाजा में सैन्य कार्रवाई जारी रखेगा, ऐसे में यरूशलम की सड़कों पर उतरे लोग इजरायल सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं वो संघर्ष विराम की घोषणा करे. ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो सके.

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