
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को 13 दिसंबर, 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक की जमानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने मनोरंजन डी की याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया. इसमें उन्हें जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को तय की है. आरोपी मनोरंजन के वकील ने कहा कि उनका विरोध करने का तरीका भले ही गलत था, लेकिन उनका संसद में प्रवेश करके कोई आतंकवादी कृत्य करने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा, "क्या उनका कृत्य गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के अंतर्गत आता है? वे उच्च शिक्षित हैं. उनका इरादा बेरोजगारी जैसे मुद्दों को प्रदर्शित करना था.''
इस पर न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने कहा, "उच्च शिक्षित लोग अधिक खतरनाक होते हैं." याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता निर्दोष है. उसे बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ्तार किया गया. जांच एजेंसी द्वारा संभावित अनुमान की तो बात ही छोड़िए, इसमें कहा गया है कि न तो एजेंसी ने कोई सामग्री बरामद की और न ही आरोपी से बरामद करने के लिए कुछ बचा, जिसके लिए उसे हिरासत में रखा जाना चाहिए.
हाईकोर्ट ने पहले एक अन्य आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा था. ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि सभी आरोपी व्यक्तियों नीलम आजाद, मनोरंजन डी, सागर शर्मा, अमोल धनराज शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत को 13 दिसंबर, 2023 को संसद को निशाना बनाने के लिए नामित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा दी गई धमकी के बारे में पहले से जानकारी थी.
इसमें कहा गया था कि खतरे की आशंका के बावजूद आरोपियों ने उस दिन संसद में अपराध को अंजाम दिया. साल 2001 के संसद आतंकवादी हमले की सालगिरह पर एक बड़े सुरक्षा उल्लंघन में सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान सार्वजनिक गैलरी से लोकसभा कक्ष में कूद गए. कनस्तरों से पीली गैस छोड़ी और नारे लगाए. हालांकि, इससे पहले कि वो कुछ करते सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया.