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पुणे पोर्श कार कांड: 5 जून तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेजे गए नाबालिग आरोपी के मां-बाप

महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए पोर्श कार कांड में सबूत नष्ट करने वाले नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और मां शिवानी अग्रवाल को 5 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि अग्रवाल दंपति ने हादसे से संबंधित सबूतों को नष्ट करने की साजिश रची थी.

महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए पोर्श कार कांड में सबूतों को नष्ट करने की साजिश रचने का आरोप. महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए पोर्श कार कांड में सबूतों को नष्ट करने की साजिश रचने का आरोप.
aajtak.in
  • पुणे,
  • 02 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए पोर्श कार कांड में सबूत नष्ट करने वाले नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और मां शिवानी अग्रवाल को 5 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि अग्रवाल दंपति ने हादसे से संबंधित सबूतों को नष्ट करने की साजिश रची थी. उन्होंने सरकारी अस्पताल के दो डॉक्टरों को रिश्वत देकर नाबालिग का ब्लड सैंपल बदल दिया था. 

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अग्रवाल दंपत्ति के वकील प्रशांत पाटिल ने कोर्ट में कहा कि पुलिस ने उनके मुवक्किल के घर की तलाशी ले ली है. उनके घर पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी बरामद कर लिए हैं. उन पर आईपीसी की धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को मिटाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो कि एक जमानती अपराध है. ऐसे में पुलिस हिरासत की बजाए न्यायिक हिरासत में भेजा जाना चाहिए, जो कि उनका अधिकार है.

इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में ससून अस्पताल के डॉक्टर अजय तवारे, डॉक्टर श्रीहरि हलनोर और एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले को भी पुलिस हिरासत में भेजा दिया था. नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल अपने ड्राइवर गंगाराम को किडनैप करने और उस पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाने के आरोप में पहले से ही पुलिस हिरासत में हैं. पुलिस इन सभी आरोपी को एक साथ बैठाकर पूछताछ करेगी.

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पुणे पुलिस ने पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में अलग-अलग कई केस दर्ज किए हैं. पहला केस इस हादसे से संबंधित है. दूसरा केस उस बार मालिक के खिलाफ किया गया है, जिसने आरोपी को शराब पिलाया था. तीसरा केस आरोपी के पिता के खिलाफ है, जिन्होंने लाइसेंस के बिना उसे कार चलाने की अनुमति दी. एक केस आरोपी के पिता और दादा के खिलाफ अपने ड्राइवर को अगला करने के लिए भी दर्ज किया गया है.

ब्लड सैंपल हेराफेरी केस में जोड़ी गई दो नई धाराएं

महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुए पोर्श कार कांड की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने नाबालिग आरोपी के पिता, माता और दोनों डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज केस में आईपीसी की धारा 471 और 473 जोड़ी है. इस मामले में आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) और 368 (गलत तरीके से छिपाना) के तहत केस पहले से ही दर्ज है. सभी आरोपी पुलिस हिरासत में हैं.

रिमांड होम में मां के सामने हुई आरोपी से पूछताछ

पुणे पुलिस ने 1 जून को आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया था. उनके ही ब्लड सैंपल से आरोपी का सैंपल बदला गया था. कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस ने नाबालिग से उसकी मां की मौजूदगी में करीब एक घंटे तक रिमांड होम में पूछताछ की थी. आरोपी की मां को 5 जून तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया है. पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि आरोपी की मां से उसका ब्लड सैंपल बदला गया था.

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किशोर न्याय बोर्ड ने दी थी पूछताछ की अनुमति 

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) शैलेश बलकावड़े ने बताया था, "हमने नाबालिग की मां की मौजूदगी में रिमांड होम में उससे पूछताछ की है. आरोपी के ब्लड सैंपल को उसकी मां से ही बदला गया था.'' किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने शुक्रवार को पुणे पुलिस को आरोपी से पूछताछ करने की अनुमति दी थी. किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी नाबालिग आरोपी से पूछताछ उसकी माता-पिता की मौजूदगी में ही की जा सकती है. 

नाबालिग ने पोर्श कार से दो सॉफ्ट इंजीनियरों को रौंदा

पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया था कि आरोपियों ने अपने ड्राइवर पर इस हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया था. 19 मई को नाबालिग ने अपनी पोर्श कार से दो सॉफ्ट इंजीनियरों की जान ले ली थी. इसके बाद आरोपी के ड्राइवर ने बयान दिया था कि हादसे के वक्त कार वो चला रहा था. लेकिन सबूतों के आधार पुलिस ने खुलासा कर दिया कि ड्राइवर को पैसे का लालच देकर जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया गया. 

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