
महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले को पुलिस ने राज्य सरकार से फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने का अनुरोध किया है. इसके साथ ही पुणे पुलिस ने सरकार से एक विशेष वकील उपलब्ध कराने की भी मांग की है. पुलिस इस महीने के अंत तक सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर देगी. वहीं, इस मामले में दो और लोगों को भी गिरफ्तार किया है, जिन्होंने ससून अस्पताल के आरोपी डॉक्टरों और नाबालिग के पिता के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाई थी. इनके जरिए ही वित्तीय लेनदेन की गई थी.
पुणे पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अशफाक मकंदर और अमर गायकवाड़ को गिरफ्तार किया गया है. जांच में पता चला है कि मकंदर और गायकवाड़ ने नाबालिग के पिता और आरोपी डॉक्टरों के बीच बिचौलिए का काम किया था. उन्होंने ससून अस्पताल के एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले को ब्लड सैंपल बदलने के लिए डॉ. श्रीहरि हलनोर को पैसे दिए थे. आरोप है कि नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल ने आरोपियों को ब्लड सैंपल बदलने के लिए तीन लाख रुपए दिए थे. सारे पैसे पुलिस ने बरामद कर लिए हैं.
माता-पिता 10 जून, नाबालिग 12 जून, शेष आरोपी 7 जून तक कस्टडी में रहेंगे
एसीपी सुनील तांबे ने बताया कि इस केस में अब तक सात आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. बुधवार को कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद नाबालिग आरोपी के पिता विशाल और माता शिवानी अग्रवाल को 10 जून तक, डॉ. अजय तवारे, डॉ. श्रीहरि हलनोर और कर्मचारी अतुल घाटकांबले को 7 जून तक, पुलिस हिरासत में भेजा गया है. इसके साथ ही एफएसएल लैब से ये भी कंफर्म हो चुका है कि नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल उसकी मां शिवानी अग्रवाल से ही बदला गया था. आरोपी के माता और पिता दोनों आपराधिक साजिश में शामिल थे.
पुलिस गिरफ्तार हो चुके आरोपियों को एक-दूसरे के सामने बैठाकर पूछताछ करने वाली है. मोबाइल की सीडीआर एनालिसिस जारी है. इसके लिए साइबर सेल काम कर रही है. पुणे पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष एक आवेदन दायर कर एक 17 वर्षीय आरोपी की पुलिस रिमांड 14 दिन बढ़ाने की मांग की, जो बुधवार को समाप्त हो रही थी. पुलिस का कहना था कि आरोपी रिमांड होम में ज्यादा सुरक्षित है. यहां से बाहर जाने के बाद उस पर हमला हो सकता है. इसके बाद उसकी कस्टडी 12 जून तक के लिए बढ़ाई दी गई.
पुलिस हिरासत में हैं आरोपी के माता-पिता-दादा, आमने-सामने होगी पूछताछ
इस मामले में आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल, दादा सुरेंद्र अग्रवाल, मां शिवानी अग्रवाल और ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों डॉ अजय तवारे, डॉ श्रीहरि हलनोर, एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले पहले से ही पुलिस हिरासत में है. पुणे पुलिस सभी आरोपियों को एक साथ बैठाकर पूछताछ करने वाली है. डॉक्टर अजय ने ही आरोपी के पिता से तीन लाख रुपए लेकर ब्लड सैंपल की हेराफेरी की थी. इसमें डॉ श्रीहरि और कर्मचारी अतुल ने उनका साथ दिया था. सारे पैसे इन तीनों आरोपियों के बीच बांटे गए थे.
आरोपी के दादा ने अपने ड्राइवर पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया
पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि आरोपियों ने अपने ड्राइवर गंगाराम पर इस हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया था. 19 मई को नाबालिग आरोपी ने अपनी पोर्श कार से दो सॉफ्ट इंजीनियरों की जान ले ली थी. इसके बाद आरोपी के ड्राइवर ने बयान दिया था कि हादसे के वक्त कार वो चला रहा था. लेकिन सबूतों के आधार पुलिस ने खुलासा कर दिया कि ड्राइवर ने पैसे के लालच में जिम्मेदारी ली थी. बताया जा रहा है कि आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने सबसे पहले अपने ड्राइवर गंगाराम को बंगले पर बुलाया.
सुरेंद्र अग्रवाल ने ड्राइवर को दिया पैसे का लालच, बयान देने पर किया मजबूर
बहुत सारे पैसे देने का लालच देकर उसे इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वो थाने में जाकर ये बयान देगा कि भयानक हादसे के वक्त पोर्श कार को वो ड्राइव कर रहा था. इसके बाद अपने साथ गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए. बयान दर्ज करवाया. उसके बाद अपने साथ वापस भी लाए. लेकिन साजिश के तहत उसे घर जाने देने की बजाए बंगले में कैद कर लिया. इतना ही नहीं सुरेंद्र अग्रवाल ने गंगाराम का मोबाइल फोन भी छीन लिया, ताकि वो किसी संपर्क न कर सके. अपने मालिक के इस बर्ताव से हक्का-बक्का ड्राइवर चुप्पी साधे रहा.
फोन छीनकर ड्राइवर को बंगले में किया किडनैप, पुलिस ने ऐसे छुड़ाया
इधर पुलिस मुस्तैद थी. दबाव में भी. क्योंकि सूबे के मुखिया यानी सीएम एकनाथ शिंदे खुद इस मामले में नजर बनाए हुए हैं. पूरे देश में इस घटना को लेकर गुस्सा है. लोग पीड़िता परिवारों के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं. इधर ड्राइवर की पत्नी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सुरेंद्र अग्रवाल के बंगले पर छापा मारा, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के दादा को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन उन्होंने कोर्ट में कहा कि वो हादसे वाली रात किसी काम से दिल्ली गए हुए थे. उनका कोई लेना-देना नहीं है.
पोर्श कार एक्सीडेंट के वक्त आखिर कहां था ड्राइवर गंगाराम
हादसे के वक्त ड्राइवर उसी पोर्श कार में मौजूद था, जिसे नाबालिग आरोपी चला नहीं उड़ा रहा था. दरअसल, नशे की हालत आने के बाद आरोपी कार चलाने की जिद करते हुए ड्राइवर से चाभी मांगने लगा. इसके बाद गंगाराम ने अपने मालिक यानी नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को फोन कर बताया कि नशे की हालत में उसका बेटा कार चलाना चाह रहा है, जो ठीक नहीं है. लेकिन ये जानने के बाद भी विशाल ने उससे गाड़ी की चाबी अपने बेटे को ही दे देने की बात कह दी. इसके बाद जब एक्सीडेंट हो गया, तो अग्रवाल परिवार ने ड्राइवर को हुक्म दिया वो इल्जाम अपने सिर पर ले ले.