
महाराष्ट्र के पुणे में हुए पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. उन पर पुलिस का शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. पहले बेटे की करतूतों की वजह से गिरफ्तार हुए पिता को अपने ही ड्राइवर के अपहरण के मामले में आरोपी बना गया है. पुलिस ने उनके लिए प्रोडक्शन वारंट की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. पुलिस बहुत जल्द उन्हें यरवदा सेंट्रल जेल से अपने हिरासत में ले लेगी.
पुणे पुलिस ने नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल के खिलाफ अपने ड्राइवर गंगाराम को किडनैप करके अपने बंगले में बंधक बनाने के आरोप में केस दर्ज किया है. दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (अपहरण) और 368 (गलत तरीके से छिपाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद आरोपी के दादा को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कोर्ट ने आरोपी के दादा को 28 मई तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा है.
पुणे पुलिस ने सुरेंद्र अग्रवाल के लिए 10 दिनों की हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने तीन दिन ही मंजूर किया था. सुरेंद्र ने कोर्ट को बताया था कि वो हादसे वाले दिन दिल्ली में थे. उनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. पुलिस घर आकर डीवीआर ले गई है. पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि ड्राइवर पर हादसे की जिम्मेदारी लेने का दबाव बनाया गया था. उसने अपने पहले बयान में कहा था कि वो कार चला रहा था. लेकिन सबूतों के हिसाब से कार नाबालिग चला रहा था. आरोपियों ने अपने ड्राइवर को पैसे और गिफ्ट देने का लालच देकर हादसे की जिम्मेदारी लेने के लिए दबाव बनाया था.
आरोपी के दादा ने ड्राइवर को लालच देकर ऐसे दबाव बनाया
बताया जा रहा है कि आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने सबसे पहले अपने ड्राइवर गंगाराम को बंगले पर बुलाया. बहुत सारे पैसे देने का लालच देकर उसे इस बात के लिए तैयार कर लिया कि वो थाने में जाकर ये बयान देगा कि भयानक हादसे के वक्त पोर्श कार को वो ड्राइव कर रहा था. इसके बाद अपने साथ गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए. बयान दर्ज करवाया. उसके बाद अपने साथ वापस भी लाए. लेकिन साजिश के तहत उसे घर जाने देने की बजाए बंगले में कैद कर लिया.
ड्राइवर का मोबाइल छीनकर अपने बंगले में कैद कर लिया
इतना ही नहीं सुरेंद्र अग्रवाल ने गंगाराम का मोबाइल फोन भी छीन लिया, ताकि वो किसी संपर्क न कर सके. अपने मालिक के इस बर्ताव से हक्का-बक्का ड्राइवर चुप्पी साधे रहा, लेकिन पुलिस मुस्तैद थी. दबाव में भी. क्योंकि सूबे के मुखिया यानी सीएम एकनाथ शिंदे खुद इस मामले में नजर बनाए हुए हैं. पूरे देश में इस घटना को लेकर गुस्सा है. लोग पीड़िता परिवारों के लिए इंसाफ की मांग कर रहे हैं. इधर ड्राइवर की पत्नी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सुरेंद्र अग्रवाल के बंगले पर छापा मारा, तो पूरी साजिश का खुलासा हो गया. पुलिस ने पूरी कहानी पलट डाली. अब बाप जेल, दादा पुलिस हिरासत और आरोपी रिमांड होम में है.
कार एक्सीडेंट के वक्त आखिर कहां पर था ड्राइवर गंगाराम
हादसे के वक्त ड्राइवर गंगाराम उसी पोर्श कार में मौजूद था, जिसे नाबालिग आरोपी चला नहीं उड़ा रहा था. दरअसल, नशे की हालत आने के बाद आरोपी कार चलाने की जिद करते हुए ड्राइवर से चाभी मांगने लगा. इसके बाद गंगाराम ने अपने मालिक यानी नाबालिग आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल को फोन कर बताया कि नशे की हालत में उसका बेटा कार चलाना चाह रहा है, जो ठीक नहीं है. लेकिन ये जानने के बाद भी विशाल ने उससे गाड़ी की चाबी अपने बेटे को ही दे देने की बात कह दी. इसके बाद जब एक्सीडेंट हो गया, तो अग्रवाल परिवार ने ड्राइवर को हुक्म दिया वो इल्जाम अपने सिर पर ले ले.